abhilekh singh   (©abhilekh)
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Joined 2 May 2018


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24 NOV 2024 AT 10:06

प्यार भुला ना सको तो
नफ़रत भी लाज़िम है.

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17 DEC 2023 AT 1:01

उन्हें समझना मिटटी को था ,
मगर वो पत्थरो में हाँथ टटोलते रहे .

जब छालों से हाँथ जल उठा
तो बोल पड़े ,
मिटटी बहुत निर्दयी है ,

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16 JUN 2023 AT 2:23

एक जंगल है जहाँ खो जाने को मन करता है ,
एक शहर है जो बुलाता है बार बार .

एक में गहरा सन्नाटा है ,
एक में दुनिया भर का शोर..

इसी उधेड़ बुन में हूँ की सुकून कहा मिलेगा ,
दोनों में खुद को खो देने का डर है.

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16 APR 2023 AT 23:20

वो ख़ुश था
मकां किसी गैर का जलाने के बाद..
फिर पागलो सा रोया है
वो पल खुद पे गुज़र जाने के बाद.

वो नादाँ है भूल जाता है
कर्म के खेल को,
उसे फिर याद आता है,
वक़्त पलट जाने के बाद..

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16 APR 2023 AT 22:53

ये शहर खुशनुमा है,
मकां मेरा जलाने के बाद..
फिर पागलो सा रोता है
वो पल खुद पे गुज़र जाने के बाद ..

वो नादाँ है भूल जाता है
कर्म के खेल को,
उसे फिर याद आता है,
वक़्त पलट जाने के बाद..

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3 APR 2023 AT 2:19

तुम कौन देश से आए पंछी,
तुम कौन देश को जाओगे,

बहुत कमाया इन शहरन में,
जोहे घर की डेहरी,

रहा ताके है मइया तोरी,
कहे डाकिया से रो-रो क़े ,
लिखो डाकिया...
लल्ला मोरे घर कब आओगे..?

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1 APR 2023 AT 20:39

मैं बैठा हु मुंडेर पे , थका हरा ..
अरे पगले कौओं, मैं बाज़ हूँ..
अभी अपनी उड़ान का मुझको तेवर मत दिखाओ..

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1 APR 2023 AT 0:40

आप हीरे ही है ,
बस परख कुम्हार से करा रहे है..

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29 MAR 2023 AT 17:33

रहते हो मेरे दिल में
फिर क्यूँ बवाल करते हो??

नज़र,यादें, दुवाँ, इंतज़ार
सब मेरे वास्ते करते हो,

फिर प्यार के नाम पे ही,
क्यों तुम इंकार करते हो..??

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28 MAR 2023 AT 22:39

शहर का शहर हुआ पत्थर,
मैं ने चाहा था के मुड़ कर देखूँ..
ख़ौफ़,तंहाई,घुटन,सन्नाटा,
क्या नहीं मुझ में जो बाहर देखूँ..

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