मेरे दहलीज पर अब किसी दरिया का आना नहीं होता,
बरसों से अकेली, सूखी रेत हूँ मैं।
मुझसे हमदर्दी की कोई उम्मीद मत रखना,
जज्बातों का बंजर खेत हूँ मैं।-
Abhilasha Srivastava
(Abhilasha Srivastava)
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CA student
Joined 28 June 2020
11 JAN 2022 AT 22:07
14 FEB 2021 AT 21:25
मोहब्बत के कसमें कुछ ऐसे निभाते हैं,
इश्क़ में फूलों की जगह जान बिछाते हैं।-
11 JAN 2022 AT 22:10
हर बात की एक वजह होती है,
बेवजह कुछ भी नहीं है।
गीत गज़ल सब कुछ वही है,
पर कुछ है जो अब नहीं है।-
10 JAN 2022 AT 21:44
एक भीड़ बस्ती थी मुझमें,
पर अब ख़ामोशी से हैरान हूँ।
हर शाम की लत थी मुझे,
अब हर शाम से परेशान हूँ।-
9 JAN 2022 AT 20:07
साक्षरता पर राजनीति भारी है,
पढ़ाई रद्द है पर रैली जारी है।-
26 JUL 2021 AT 19:39
हर रिश्ते-नाते,इश्क,प्यार पर,उनकी मोहब्बत भारी है,
अपनी सांसों से भी ज्यादा उन्हें शहादत प्यारी है।-
20 JUL 2021 AT 22:44
पल भर की मोहब्बत में,हर पल बिगड़ते हैं।
एक लम्हे की जिन्दगी है,पर हर लम्हा अकड़ते हैं।-
19 JUL 2021 AT 21:23
जब आँखें जागती थी,
तो अपने अपने में खोए पड़े थे।
आज मैने आँखें बंद कर दी,
तो वो नजरें भिगोए खड़े थे।-
20 JUN 2021 AT 17:17
मुझे ज़रूरत नहीं है, कहकर अपनी ज़रूरत टालते हैं,
वो पापा ही है,जो खाली जेब में भी हमारी ख्वाईशें पालते हैं।-