Abhilasha pandey   (abhilasha pandey)
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लिखना शौक है ,ना आदत, ना मजबूरी
बस जब दिल किया कुछ लिख लेती हूं 😊
Joined 16 February 2019


लिखना शौक है ,ना आदत, ना मजबूरी
बस जब दिल किया कुछ लिख लेती हूं 😊
Joined 16 February 2019
9 OCT 2023 AT 5:58

भटकती सी राहों पर चलते चलते
कुछ निशां छोड़ आए,
हम अनजान से रास्तों को अपना कर
अपना वाजीब एक पता कर आए।



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3 JUL 2022 AT 0:14

अक्सर चांद देख कर पुरानी यादों में खो जाती हूं
एक दर्द उभरता है दिल में आँखो से पी जाती हूं

हर रोज़ निकलती हूं इन अंधेरों से की घिर जाती हूं
समझाती हूं बहुत ख़ुद को या ख़ुद समझ जाती हूं

ये कैसी इच्छाएं जो ख़त्म होती नहीं बढ़ जाती हूं
मैं समेटती हूं ख़ुद को जहां वहीं बिखर जाती हूं

कुछ क़दम चलते हैं नई सी राहों पर,लौट आती हूं
ना मंज़िल की चाह, पुरानी गलियों में निकल जाती हूं

ख़त्म ना होगी ये अभिलाषा कभी ये सोच घबराती हूं
और ये अभिलाषा भी ख़त्म हो ना सोच सुकून पाती हूं

आज भी बहुत खोई हूं तुझमें जहां ख़ुद को मैं पाती हूं
साथ ना होकर साथ हो तुम हर पल ये साथ निभाती हूं

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1 JUL 2022 AT 15:37

बहुत सी इच्छाएं मुझमें,
मैं अनंत इच्छाओं की परिभाषा।
सरल सुगम है राह मेरी,
दिल ही मेरी सदा की भाषा।
सौम्य हूं पर अडिग मेरी चेतना,
निश्छल हूं,और यही सब से आशा।
प्रेम का सैलाब जहां,
वहीं अंतर्मन कही प्यासा।
ना पाया पार किसी ने,
ना हार जीत का तमाशा।
मैं पूरी हूं स्वयं में ही कही
कहीं मुझमें ही कोई अधूरी "अभिलाषा"।

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30 JUN 2022 AT 19:30

लिखती हूं एक पाती रोज
तुम्हारे नाम की,
ना ख़बर तुम्हारी, ना पता तुम्हारा
बस यही है थाती मेरे पास,
तुम्हारे साथ की।

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30 JUN 2022 AT 19:24

हर लम्हा कुछ यूं गुजरता है
जैसे भूला हो पथिक कोई
फिर फिर उन्हीं गलियों से निकलता है

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20 JUN 2022 AT 22:47

एक ख़त लिखा तुम्हारा है
कुछ पन्नों में छिपी तस्वीर तुम्हारी है
एक गुलाब सहेज कर रखा है
बस लफ्ज़ मेरे हैं हर बात तुम्हारी है

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23 MAY 2022 AT 23:24

जीवन का एक और सबक जो यादगार बन जाए

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23 MAY 2022 AT 23:15

ले जाती है उम्र की उसी दौर में
जहां नादानियां शामिल हुआ करती थीं आदतों में
और बेफिक्री भी एक हिस्सा मिजाज़ का था

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23 MAY 2022 AT 23:11

धुल गए सारे फिर से बेहिसाब
गर्द की चादर ओढ़ने से पहले

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21 MAY 2022 AT 17:13

छेड़ जाती है ये हवा बहती हुई, जाने कौन
इसे हमारी तुम्हारी हर बात बता जाता है

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