रे! राजनीति में परिवर्तन की मृग मरीचिका (2)________________________________कितनी आंखों में तुमने थे सपने पाले, बेबस, लाचारों को मनुहारी आशाएं दी. आर्थिक हालातों से समझौते कर, कितने कौशल इस कार्यक्षेत्र को छोड़ गए बाहर. #ओजस - अभिजीत जनार्दन
रे! राजनीति में परिवर्तन की मृग मरीचिका (2)________________________________कितनी आंखों में तुमने थे सपने पाले, बेबस, लाचारों को मनुहारी आशाएं दी. आर्थिक हालातों से समझौते कर, कितने कौशल इस कार्यक्षेत्र को छोड़ गए बाहर. #ओजस
- अभिजीत जनार्दन