21 MAY 2018 AT 8:35

रे! राजनीति में परिवर्तन की मृग मरीचिका (2)
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कितनी आंखों में तुमने थे सपने पाले,
बेबस, लाचारों को मनुहारी आशाएं दी.
आर्थिक हालातों से समझौते कर,
कितने कौशल इस कार्यक्षेत्र को छोड़ गए बाहर.
#ओजस

- अभिजीत जनार्दन