abhijeet Singh   (My_heart_says)
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Joined 3 July 2018


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19 APR 2022 AT 12:11

बिछड़ गए तो उम्र भर ये दिल लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं

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12 APR 2022 AT 11:33

हम पत्थर क्यों हो जाते हैं
लोग तो अक्सर वादा करके मुकर जाते हैं
साथ चलने का वादा करकें अक्सर यूहीं छोड़ जाते है
दिल तोड़ जाते है , जिंदगी में बस अँधेरा छोड़ जाते है
लोग तो अक्सर यही कर जाते है मग़र हम पत्थर क्यों हो जाते है

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4 APR 2022 AT 21:21

गुलाब उसका दफ़्न था क़िताबों के पन्नों मे
पन्ने पलटे तो इश्क कि भी रूह जग गयी🖤

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3 APR 2022 AT 22:19

हाँ माना की अकेला हूँ , पर क़ाफी हूँ
इन राहों पर चलना सीख लिआ है मैंने
हाँ गिरा क़ाफी दफ़ा पर संभलना सीख लिआ है मैंने
कभी जिन अंधेरो से मै डरता था , उन्ही से सौदा कर लिआ है
मन में बसे उस भय को वही दरवाजे पर ही छोड़ दिआ है
हाँ माना की अकेला हूँ , पर शायद अब तो क़ाफी हूँ ??

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29 NOV 2020 AT 9:07

Does it ever happens that you are thinking something.... But you can't think what you are thinking.

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27 OCT 2020 AT 17:39

भूलेंगे ना तुझ को, तुझे तो अपनी यादों में जिंदा रखेंगे
कभी अगर मुलाकात हुई तो हिसाब करने में आसानी होगी।

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26 SEP 2020 AT 11:16

I don't remember you
I don't remember the touch of your hands
Neither do I remember your fingers melting into mine
I surely forgot the warmth of your arms around me
Not a single thought of your words falling in my ears , as rain fall on a dry land
Not once my mind goes through the depth of your eyes when they fell upon me.
No , I don't remember you... Not even a bit

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16 SEP 2020 AT 10:59

धूप भरी सुबह नहीं, खूबसूरत शाम लिखते है
उसको बेवफा नहीं, खुद को बदनाम लिखते है
हां माना उसका पता हमे पता नहीं,
मगर खत तो फिर भी उसी के नाम लिखते हैं।

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12 SEP 2020 AT 22:45

वो BMW मेें घुमती है और तेरे पास एक धटिया सी scooty है
उसके हाथ में iphone जचता है, तू nokia 1100लेकर खुद को राजा बाबू समझता है h
इस दुनिया से बाहर की उसकी beauty , और तू घिस घिस के खत्म कर रहा वही एक साबुन की बट्टी
उसके tinder पर matches का ताता है , और तेरा तो अभी तक निल बटे सन्नाटा है।

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30 JUL 2020 AT 12:38

एक अर्सा गुजर गया, मुझको यूं चलते हुए
चांद भी आखिर थक ही गया , सदियों से यू जलते हुए
रोशनी भी रुक गई , सुनने को कि क्या बात हुई
बादल भी खुद को ना रोक सका , पूरी रात बरसात हुई

एक अरसा गुजर गया , मुझको यूं हस्ते हुए
हमने क्यों कुछ ना बोला, बस कागजों पर लिखते रहे
स्याही भी कलम की सूख गई, मेरा खत यूं लिखते हुए
शाम ढले जब डाकिया आया , खत उसको ना मिले
एक अरसा हो गया , हमको उनसे मिले हुए ।

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