Abhijeet Dwivedi   (Achal..)
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Joined 4 October 2021


Joined 4 October 2021
8 AUG 2023 AT 16:25

किसी शक्स का मैं एक मुठ्ठी आसमां लूट लाया हूँ,
मैं आज उस महफिल का सारा समा लूट लाया हूँ!

अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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26 AUG 2022 AT 17:17

मैं बातों बातों में अपनी हर बात लिख सकता हूँ,
मैं शायर हूँ, जाना तेरी औकात लिख सकता हूँ!!

- अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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26 AUG 2022 AT 16:01

लोग अक्सर इश्क़ में सब खो देते हैं,
कुछ हमसे शायर हो जाते हैं
और कुछ बस रो देते हैं!
अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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18 JUN 2022 AT 8:28

दर-बदर भटकते है मौसमों के अब ठिकाने कहाँ रहे,
जो रोक ले हम कुछ पल, अब वो बहाने कहाँ रहे?

-अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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10 JUN 2022 AT 22:50

मेरा इतिहास, इति-हास्य प्रसंग समान है!

अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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10 JUN 2022 AT 19:27

मैं इतिहास का छात्र ठहरा!

वो किसी वैग्यानिक की नई खोज सी,
मैं भुगोल का खतरनाक अरण्य गहरा
वो विग्यान कक्षा की विदुषी,
मैं इतिहास का छात्र ठहरा!

हर्फ उसके एच. सी. एल से,
जो अकबर की तलवार पर डाले फेरा
वो रसायन विग्यान की प्रखर छात्रा,
मैं इतिहास का छात्र ठहरा !

वो परमाणु का करे परीक्षण,
मैं अकबरी सेना संग देता पहरा,
वो है किसी माइकलफैराडे,
मैं इतिहास का खिलजी ठहरा!

अब खोजती किसी आर्यभट्ट को
और पुकारती है नाम मेरा,
मैं उसके अतीत में जा बैठा हूँ
मैं इतिहास का छात्र जो ठहरा!!

-अभीजीत द्विवेदी'अचल'











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9 JUN 2022 AT 15:44

इश्क़ गुलाब सा होता है,
महक दूर से अच्छी होती है,
पास आने पर काँटा चुभ ही जाता है!
-अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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9 JUN 2022 AT 12:45

"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

मैं तेरे बहते हुए रक्त से हर पल नया आयाम लिखूँगा,
तेरे मृत देह से मैं इस भारत का नया मुकाम लिखूँगा,
तुम मुझे खुद को सौंपों, मैं हर दिन नया वादी दूँगा
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

मैं जाति या धर्म से नहीं, तिरंगे से ही पहचान लिखूँगा,
अब नहीं मैं अहिंसावादी, अब जंग-ए-मैदान लिखूँगा
जो गोलियों से न भेद सको, मैं सीने वो फौलादी दूँगा
"तुम मुझको खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

भारत माँ की छाती पर बढ़ते कदमों को मैं काट दूँगा,
एक सपूत को छीनोगे, मैं सौ गोरों से धरती पाट दूँगा
जो हो लाखों का काल इस भूमि को एेसा बागी दूँगा,
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

एक तिरंगा लहराऊँगा उन गोरों के कटे हुए मुण्डों पर,
एक तिरंगा लहराऊँगा आर्यावर्त गद्दारों के झुण्डों पर,
एक तिरंगे के नीचे मैं ला पूरी अर्यावर्त अाबादी दूँगा,
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

-अभीजीत द्विवेदी'अचल'







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9 JUN 2022 AT 7:22

सरल बातों को जटिलता का लिबास पहनाकर फेंका जाता है पाठकों की ओर!
पाठकों संग धोखा हो रहा है!

-अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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8 JUN 2022 AT 22:52

बिस्तर गरम करने को उत्साहित आशिको!
उसके लिए पानी गरम करने से क्यूँ कतराते हो?

-अभीजीत द्विवेदी'अचल'

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