Abhigya Sk   (✍ अभिज्ञा)
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Joined 16 November 2019


Joined 16 November 2019
17 DEC 2022 AT 18:03

कोई कहता मुझे होश नही
उसे कहा पता मैं हूँ ही नहीं
तुम चुरा ले गई संग अपने
जीने की मेरी ललक सभी
इन आँखों मे चुभती है नमी
थी जिनमे रहती चमक कभी
कलम पिरोते गीत तुम्हारे
धुन बसती पर और कही
कहने को तो सब कुछ है
गर कौन भरे अब उसकी कमी
आहें उसका नाम पुकारे
जैसे सुनती हो वो हर खामोशी
बिन बातों के मुस्काते थे
अपने संग वो बात ले गई
पलको को झपकाए यूँ
जैसे चंदा दे रातों को थपकी
संग अपने वो रात ले गई
जाने क्या-क्या साथ ले गई
एक चेहरे की झलक दिखे
वो उठने का उत्साह ले गई

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27 NOV 2022 AT 17:08

छोटी सी एक नन्ही कली
मेरे घर में आई है
छोटे छोटे कद हैं जैसे
लक्ष्मी आँगन छंकाई है
"रुद्र" की गोदी मे बैठी
पहली राखी लाई है
दादी की पायल को सुनकर
देखो कैसे मुस्काई है
लाड़ प्यार के रंग मे डूबे
केसर से नहाई है
शोर हुआ एक पोती आई
नाना रहे बाट मिठाई है
नानी की आँखें भर आई
मासी गुड़िया लाई है
चाची उसकी नजर उतारे
चाचा रहे लेत बधाई हैं
छोटे -छोटे कानों वाली
सबके मन को भाई है
छोटे होठ, छोटे नाक
छोटी इसकी अंगड़ाई है
अंबर को चूरा मुट्ठी में अपने
पापा की किस्मत लाई है
घुँघराले से लट हैं बिखरे
"प्रीत" की परछाई है

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14 JUL 2022 AT 22:39


क्या कुछ नहीं होता...
अपने आँसु छिपाकर औरो को हंसा देना
क्या कुछ नहीं होता...
जरूरतो को मार सबपर सपने लूटा देना
क्या कुछ नहीं होता...
इस भीड़ से हटकर नई राह बनाना
क्या कुछ नहीं होता...
अँधेरे में साथ दीप जलना
क्या कुछ नहीं होता...
जान लूटा निःस्वार्थ प्रेम करन
क्या कुछ नहीं होता...
एक नजर से सबकी तकलीफे हरना
क्या कुछ नहीं होता...
मन की बातो को हौले से पढ़ लेना
क्या कुछ नहीं होता...
बिन मांगे अपनो सा प्यार देना






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9 JUL 2022 AT 0:27

फैसला किया था जीना छोड़ दूँगा तुम्हारे बिना
अब जीता हूँ जिमेदरियो के लिए
और हर रोज मरता हूँ तुम्हारे लिए

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9 JUL 2022 AT 0:16

जिंदगी के सफर का पता नहीं
पर तुम्हारा इतनी देर ही साथ चलना खुद को वजूद दे गया

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7 JUL 2022 AT 13:25

पहला,
सच में अनमोल होता है न,,
जैसे बच्चे का पहली बार रोना
और माँ का मुस्काना
सावन की पहली बूँद का
कलियों से मिल जाना
कॉलेज का पहला दिन
सज-धज के जाना
दुल्हन का पहला खीर बनाना
या घाट पर खड़े होकर सुबह आरती गाना
पर तुम्हारा वो पहला स्पर्श
कुछ ऐसा था मानो....
कांन्हा की बंशी को पहला
राधा का स्पर्श मिला हो
रात गयी जमुना किनारे
गोकुल में घुँघरू बजा हो
"जिंदगी " को जिंदगी ने
खिलकारी से छेड़ दिया हो
सागर में खोकर नदियों ने
होना अपना महसूस किया हो

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6 JUL 2022 AT 15:52

सब बदल जाते हैं
तुम भी बदल गए....
इतनी सी ही बात हैं न.... ??

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22 JUN 2022 AT 14:11

उसके बिना तो खुशी भी कोई खुशी नहीं देती

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5 JUN 2022 AT 12:01

उसे कब तक माफ़ करोगे?
जिसकी जगह नफ़रत ने ले ली है
पर याद अब भी आती है

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1 JUN 2022 AT 14:28

रिस्ता तो हाँ, है तुमसे
इश्क़ मुहब्बत प्यार नहीं
घाट से गुजरी नदियों जैसा
काग़ज और कविता सा

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