मिलकर मुझसे खुश हो तुम लगता है मुझे भुला चुकी हो
मांग में सिंदूर,गले में मंगलसूत्र ,रकीब की तारीफें कर मुझे क्यों चिढ़ा रही हो
मैं बद नसीब तुम्हे पाने के लिए सब कुछ खोने को तैयार था
खुशनसीब तो वो है जिसके हिस्से में तुम हर रोज आ रही हो— % &-
याद रखना हमें हम इतने भी बुरे नहीं😍🤫
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मुलाकात औरों से रोज होती है
मगर मुलाकात खुद से कम होती है
अपनों की भीड़ में गुमनाम सा हूं
हां मुझे मेरी कमी खलती है ।
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होठों पे होठ , हाथों में हाथ तुम्हारा
वो मुलाकात का बहाना मुझसे मिलने आना तुम्हारा
बहुत याद आता है वो दो पल का साथ तुम्हारा ।— % &-
आदत चरस हो या इंसान मैं मानता फरक नहीं
मैं मानता खुद को तुमको गलत नहीं
गलत था मैं कई बार पर दिया किसी को दरद नहीं
दर्द दिया बिछड़ के, मुलाकात का मरहम क्यों दिया नहीं।-
दर्द,स्याही से लिख रहा खत
कैसे छोडूं सालों से लगी जो लत
खोए हुए तुझे बीता जमाना
पर आज भी लगे तुझे खोने का डर
सब तेरे लिए समझती नहीं तू क्यों मेरी आयत
सोहबत मोहब्बत में आज भी उठती है तेरी तड़प
महारत हमने भी पा ली जज्बातों पे
रस्ता बदल देते गर रस्ता जाता तेरे घर की तरफ।
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तेरी आंखों में खोया था मैं तो
तेरे जिस्म पे गौर कभी किया नहीं
बस मांगा था वक्त वो भी कभी तूने दिया नहीं
बिछड़े हुए हुआ गुजरा जमाना पर लगता है जैसे तू यहीं कहीं
दिल चाहता तेरा लौट के आना ,
हां जानता हूं अब ये मुमकिन नहीं।
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ले जा तू यादें तेरी मुझसे तो अब ये संभले न
जब तू ही नहीं साथ इन यादों का मैं करूं क्या
जख्मी दिल मांगता मरहम दबा है इसकी तू मिले न
पर हम भी खुदगर्ज सह रहे दर्द अब नया कोई दर्द हम चाहें न।-
हां दिखावा करता हूं मैं खुश रहने का
हां झूठ बोलता हूं मैं तुझे भुलाने का
तेरे जाने के बाद मैं दिल से कभी हंसा ही नहीं
हां मैंने इंतजार किया था तेरे वापिस आने का।-
रहता मोहब्बत से दूर इस डर से भरोसा फिर से टूटे न
करूं किस्से बयां मेरा हाल ए दिल कोई हाल ए दिल यहां समझे ना
मैं खड़ा वहां पे जहां से दूर तक अपना कोई दिखे ना
अधूरी ख्वाहिश, अधूरी मोहब्बत संग जी कर अब करूं क्या?-