तेरे पदचिह्नों के तलाश में,
मैं हर राह पर भटका हूं।
मैं भटका हूं बेचैन होकर,
बेसब्र होकर, बेताब सा।
जब भी नींद खुली है मेरी,
वो टूटा है एक ख्वाब सा।
एक ख्वाब जिसमें मैं होता हूं,
और तेरी सिर्फ एक झलक होती है।
तेरे पास आने की एक ललक होती है,
यूं तो कब का मर चूका हूं तुमपर,
पर तेरे साथ जीने की चाह अब तलक होती है।
हां अब तलक तेरी मोहब्बत,
बसती है मुझमें।
मुझमें बसती हैं तेरी यादें,
तेरी यादें जो अब तक धुंधली न हुई।
धुंधली न हुई है वो रात,
वो रात जब वो चांद मुस्कुराया था।
मुस्कुराया था हमारे मिलन पर................
- Abs
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