Abhi Rishi   (abhi_writes)
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I decorate my feelings with words.
Joined 8 November 2017


I decorate my feelings with words.
Joined 8 November 2017
4 APR 2021 AT 12:17

मेरी जिंदगी की क़िताब के
हर पन्ने में महक तेरी है,
मैंने इस क़दर जिया है तुम्हें।।

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2 APR 2021 AT 22:17

वो मुझसे इस क़दर
मोहब्बत जताती थी,
मुझसे नजर मिलने पर
वो अपनी नज़रे झुकाती थी।

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2 APR 2021 AT 20:23

अब से नहीं रोऊंगा तेरे खातिर,
अब समझा दिया है दिल को मैंने
कि तू अब इसके काबिल नहीं।

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30 MAR 2021 AT 18:52

जब कभी वो दांतो तले कंघी दबा कर
अपने बालों को संवारती थी,
नज़रे नीचे झुका कर
अपने लटो‌ं को कानो के पीछे डालती थी,
कसम से, मेरी जिंदगी तो वहीं ठहर जाती थी।।

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11 MAR 2021 AT 0:08

वक़्त बे वक़्त जो तुम मुझसे बेवज़ह लड़ा करती थी,
आज उन्हीं लड़ाइयों को फिर से लड़ना चाहता हूं मै।।

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10 JAN 2021 AT 9:40

अश्क भी तुमसे,
इश्क़ भी तुमसे।।

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9 JAN 2021 AT 0:57

जिससे बातें किए बिना नहीं गुजरता था एक भी दिन,
आज उसके बिना महीनों गुज़र गए।।

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31 DEC 2020 AT 19:35

इश्क़ बहुत ही लाईलाज बीमारी है
साहेब , मिल जाए तभी आशिक़ पागल हो जाते है और नहीं मिले तब भी ।

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29 NOV 2020 AT 17:37

And all those dreams shattered in a second.

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24 NOV 2020 AT 3:51

शायद अब ,तुम मेरी कभी ना हो,
पर तुम्हें यूं सोचना सुकून देता है।

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