अभि राय   (बोलते_शब्द_एहसास)
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Joined 2 May 2019


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18 MAR AT 13:54

#इश्क़_इश्क़_है

उसको ना कहकर
सबकुछ #उसके_बारे_में
पता कर लेना
उसकी अदाओं के
मारे फिरकर
सब ग़म भूला देना
उसकी आँखों के
इशारों पर
गली-गली भटकते रहना
और अब उसके स्टेट्स से
उसकी तस्वीर
चुराकर रख लेना

#इश्क़_है |

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7 MAR AT 21:25

अपना ही शजर भला कौन काट सकता था
तुझे मेरी ज़िन्दगी से बता कौन काट सकता था
जो तूने रास्ता चुना मैं भी वो राह चुन लेता
मगर तकदीर का लिखा कौन काट सकता था |

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5 MAR AT 12:59

परिस्थिति...

तुम्हारे दायित्व बहुत थे मेरे कर्तव्य बहुत थे
हम दोनों ही जन जीवन में #व्यस्त_बहुत_थे

तुम्हारे काम समाप्त होने का नाम नहीं लेते थे
परिस्थितियों में हम भी उलझे #समस्त_बहुत_थे |

#उलझनें

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9 FEB AT 18:10

तुम्हारे कांधे से उलझा
इयरफोन के तार सा मैं....

शेष अनुशीर्षक में

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9 FEB AT 13:29

सिर्फ और सिर्फ तुम्हें

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11 NOV 2023 AT 17:32

तुम भी

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25 APR 2023 AT 10:00

ये ही प्रेम है

मेरे शब्द उस घड़ी
केवल भटकते रहते हैं
जिस समय इनपर
तुम्हारे नाम का
साया नहीं होता
और इन्हें आराम मिलता है
तुम्हारे आँचल की छाँव में
मेरी देह का आराम तुमसे है
मेरा विराम
मेरा विश्राम
मेरा काम
मेरे चारों धाम तुमसे हैं
शिव से लेकर
ये अनंत ब्रह्माण्ड
ये जीवन ये आत्मा
शब्दों पे विराम तुमसे है
शब्दों को आराम तुमसे है
शब्दों में मेरा नाम तुमसे है
शब्दों में भाव निष्काम तुमसे है
शब्दों में राधा श्याम तुमसे है
शब्दों में सुबह-शाम तुमसे है
शब्दों में प्रेम का धाम तुमसे है

मेरे शब्द उस घड़ी
केवल भटकते रहते हैं
जिस समय इनपर
तुम्हारे नाम का
साया नहीं होता |

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20 SEP 2022 AT 10:10

प्रेम

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31 AUG 2022 AT 11:18

साहेब-ए-आलम

दरमियां जो दूरियां हैं वो यूं ही रहने देते हैं ना
के ये जो यहां वहां है वो यूं ही रहने देते हैं ना
जाने क्यों बेचैनगी में ये उम्र गुजार दी सारी
सुकून जो जरा सा है वो यूं ही रहने देते हैं ना |

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7 AUG 2022 AT 17:59

सावन का दैनिक विवरण

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