Abhi Oli  
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Joined 27 October 2017


Joined 27 October 2017
12 APR 2021 AT 0:36

मुझसे इश्क़ की बातें ना करो,
देखा है इश्क़ बिकता हुआ मैंने खिलौनों की तरह।
लोगों को पहली बार इश्क़ का इज़हार करके,
अगले ही पल बिछा हुआ देखा है मैंने, बिछौनों की तरह।।

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12 MAR 2021 AT 17:49

अब तुम्हें पाने की हर हसरत खोने लगी है,
अरे! अपनी बात तो छोड़ ही दो जनाब,
अब तुम्हारी महक से भी नफ़रत होने लगी है।।

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28 OCT 2020 AT 22:25

नहीं जानता अब ख़ुद को भी,
कुछ इस कदर, खुद को भूल सा गया हूँ,
सबसे दूरी बेहतर है,करीब गया तो बस दाग दूंगा,
कुछ इस कदर, हो धूल सा गया हूँ।।
हाँ दिखता तो हूँ ज़िंदा, पर जिसमे ना हो तरंग ना ही खुशबू,
कुछ इस कदर,हो कागज़ के फूल सा गया हूँ।।
जो छोड़ा अपनों का हाल पूछना,तो पलट के उनने भी ना पूछा कभी,
कुछ इस कदर, अपनों के लिए हो बेफ़िज़ूल सा गया हूँ।।
कुछ इस कदर, अपनों के लिए हो बेफ़िज़ूल सा गया हूँ।।

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8 OCT 2020 AT 23:07

फिर से हमारे सभी जज़्बात एहसान फरामोश हो गए,
हज़ारों शिकायतें औऱ सवाल थे तुमसे ,
तुम सामने आए और हम फिर से खामोश हो गए।।

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5 SEP 2020 AT 8:47

दिल से जंग मेरी घमासान सी,
बातें मेरी होने लगी बदनाम सी।
खुद की गलती,और नाराज़ी मुझसे,
बेवजह शक्ल बना के बैठे गांड सी।।

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1 SEP 2020 AT 9:33

लगती जो ज़रा सी धूप उसे,बिठा देता था तू छाव पर,
बिक गई क्यों नियत तेरी ए "ओली", इश्क़ को रख दिया दाँव पर,
खामोश रहने लगी है वो जिसके एक पल रूठने से भी डरता था तू,
आखिर कुचल दिया तूने दिल उसका,और फिर पैर रख दिया घाव पर।।

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28 AUG 2020 AT 22:08

अक्सर गुज़रता हूँ डी.आई.टी. की सड़कों से,
याद आता है कैफेटेरिया मे करना तुम सबका इंतज़ार।
पीता हूँ अक्सर हाक्का पर बैठ के कुल्लड़ चाय,
पर सच कहूँ तो फीकी लगती है हर घूट तुम्हारे बिना यार।।

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28 AUG 2020 AT 9:04

ए हरीफ मेरे इश्क़ के,करनी वफ़ा तुझसे सीखनी है,
सीखनी है मोहब्बत तुझसे,सहनी जफ़ा तुझसे सीखनी है।
सच्चा इश्क़ तेरा,फिर कैसे देखता है किसी और के साथ जाते उसे??
दिल को बेगर्ज़ कर,सहनी चोट हर दफ़ा तुझसे सिखनी है।।
ए हरीफ मेरे इश्क़ के,करनी वफ़ा तुझसे सिखनी है,
सीखनी है मोहब्बत तुझसे,सहनी जफ़ा तुझसे सीखनी है।।

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15 AUG 2020 AT 9:50

इस आज़ादी एक नयी कहानी लिख दें,
देश के नाम अपनी पूरी जवानी लिख दें।
पूछे जो कोई धर्म और पहचान हमारी,
हम पूरे गर्व से हिंदुस्तानी लिख दें।।

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11 AUG 2020 AT 23:40

हर बात पे शायरी की,
किसी चीज़ मे आपने नहीं कोई कमी छोड़ी।
आपका वो शायरी कहने का अंदाज़,
ना जाने कितने दिल कर गया चोरी।
प्यार,मोहब्बत, दोस्ती, दगा, और बेवफाई,
ये सब सुना था अक्सर आपके मुंह से,
आज आपके जाने पे,
आपकी बेवफाई भी देख ली राहत इंदौरी।
आपकी बेवफाई भी देख ली राहत इंदौरी।।

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