मायके में जिसे प्यार से
कहते हैं सब पापा की गुड़िया
ससुराल में वही क्यों
कहलाने लगती हैं जहर की पुड़िया
कहने को बस कह देते हैं लोग
हम बहू नहीं बेटी लाए हैं
फिर क्यों इन बेटियों के साथ
बेटियों जैसा व्यवहार किया नहीं जाता हैं
दामाद अगर बेटी का साथ दे
तो दामाद अच्छा है
और गर बेटा बहू का साथ दे
तो जोरू का गुलाम हैं
गलतियाँ बेटी से हो तो
कोई बात नहीं कभी कभी हो जाता हैं
और गर बहू से हो तो
एक बात का सौ बात बनाया जाता हैं
आखिर क्यों बहू बेटी में
इतना फर्क किया जाता हैं
जो प्यार मायके में मिला
वो ससुराल में नहीं दिया जाता हैं
- Alone Abhi
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