Abhay Shukla   (अभय शुक्ला)
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हिंदी साहित्य का बेखौफ व बेबाक कवि (वीर जवानों को समर्पित कविताएं)
Joined 5 February 2018


हिंदी साहित्य का बेखौफ व बेबाक कवि (वीर जवानों को समर्पित कविताएं)
Joined 5 February 2018
7 JUN 2022 AT 0:34

आज दिल से निभाए जाने वाले रिश्ते बहुत ही कम है, किसी से दिल से बात करोगे ना तो, हजार जगह
बदनाम करेगा आपको

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9 JAN 2022 AT 22:29

अभय शुक्ला लिखेंगे अब प्यार की कहानी

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17 NOV 2021 AT 20:20

Uppsc वालों के लिए!

Uppsc मेरा सपना बना है,
इसका नाम सुनकर के चेहरा खिला है,
इसमें selection के अरमाँ हैं दिल में!
कहो आँधियों से ये तूफ़ाँ उठा हैं,
ये जिद है ये चाहत, यहीं इंतेहा हैं
हवाओं के साथ ही, चिराग भी जला हैं!!
Uppsc अब तो सपना बना है!!

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17 NOV 2021 AT 20:07

किसी की मदद तुम करो तो सही,
किसी के खुदा तुम बनो तो सही!
तुम्हारे लिए जान भी देंगे वो सब,
कभी उनकी लिए तुम लड़ों तो सही!!

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24 OCT 2021 AT 8:43

करवा चौथ

आज सभी सुहागिन अपना प्रेम जताएंगी,
साँवरे, सजना को अपने पास बुलाएंगी,
सजेंगी सवरेंगी,परियों के जैसी,
भूखी भी रहेंगी, प्यासी भी रहेंगी,
ऐसे अपने सजना पर प्यार लुटाएंगी!!

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12 SEP 2021 AT 23:03

मिल जाएंगे बहुत तुम्हारे जैसे,ये जानते हैं हम!!
मगर इस दिल का क्या करें, जो सिर्फ तेरे लिए ही जिद्द कर रहा है!!

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9 SEP 2021 AT 23:57

ये आँखे तुम्हारी हमें ही निहारें,
दर्द भरा है आँखों में तुम्हारे,
ये गमगीन क्यूँ हैं, ये दिन बदलेंगे,
ये संघर्ष तेरा, जिताएगा तुझको,
ये विश्वास तेरा, उठाएगा तुझको,
तू संघर्ष कर आगे बढ़ता ही जा रे!
वो ईश्वर भी हैं, जो बढाएगा तुझको!!
ये आँखे तुम्हारी, कभी अब न रोयें,
मन ये तुम्हारा हमको बुलावे,
और आँखे तुम्हारी, वो रस्ता निहारें,
ये आँखे तुम्हारी हमें ही निहारें!!

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17 MAY 2021 AT 11:34

🙏अभय हूँ, निडर हूँ और निर्भीक हूँ,
माटी में दबा मै तो एक बीज हूँ!
माटी में दबा हूँ, उपज जाऊंगा,
उठने की प्रकृति है तो उठ जाऊंगा!!
हर माटी तो बंजर भी होती नहीं,
हर गुठली भी पेड़ कभी बनती नहीं!
जो गमले मे पल कर बड़े होते हैं,
धूप लगने से ही मुरझा जाते हैं!!
पत्थर पर उगा मै, मै तो देवदार हूँ,
आंधी, पानी को सहकर भी बढ़ जाऊंगा!!

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3 DEC 2020 AT 8:30

कोई मेरी औकात ना देखे, दुनियां हिला सकता हूं मै,
बच कर रहना ऐ मेरे दुश्मन, आंखों का सुरमा नहीं आंख ही निकाल सकता हूं मै!

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2 DEC 2020 AT 22:19

काला दिल जिसका है, वो नाम भूल जाते हैं,
ये मेरी महफ़िल है, यहां दिलदार बसते हैं!!

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