अपनी बहन को बहन समझे,दुसरो पर नियत ख़राब किये
माल , टोटा, कट्टो, आइटम कहके अपने को नायाब किये
ऐसी आज़ादी मिली है हमको, तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
जाती ,धर्म का चश्म पहनकर , हमेशा बुरे व्यवहार किये
इन सब चीज़ों से न ऊपर उठकर, कितने हाहाकार किये
ऐसी आज़ादी मिली है हमको, तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
खुद को बड़ा मर्द समझते,और बच्ची का बलात्कार किये
देकर मुछो पर है ताव , कहते कितना बड़ा काम किये
ऐसी आज़ादी मिली है हमको,तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
लड़का लड़की में भेद करकर, जाने कितने गर्भपात किये
लड़के की ख़्वाहिश में ना जाने कितनी बार ये काम किये
ऐसी आज़ादी मिली है हमको, तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
लोभ का है छद्म नशा सा, माता पिता पर अत्याचार किये
कितने गहरे स्तर पर गिरकर,अपने रिश्ते को तार तार किये
ऐसी आज़ादी मिली है हमको , तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
कब तक ऐसे रहेंगे हम सब, कितना समय हम बर्बाद किये
अब भी संभल गए हम सब तो , तो समझो कि आबाद हुए
वरना झूठी आज़ादी तो मना ही लेंगे,झूठेपन को साथ लिए
ऐसी आज़ादी मिली है हमको, तो क्या ख़ाक आज़ाद हुए
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