इस प्रलय के दौर में "माँ" आपका ही सहारा है हर मुसीबत की घड़ी से आपने ही उबारा है, आँखों के सामने हमारे अपने दम तोड़ रहे हैं हम बेबस, लाचार से खड़े बस रो रहे हैं, एक अथाह समन्दर है, कई डूबती जानें हैं और किनारे पर दम तोड़ती सैकड़ों मुस्कानें हैं, अवतार लो मैया, अपने भक्तों की लाज रखो आपने तो ना जाने कितने दुष्टों को संहारा है, इस प्रलय के दौर में "माँ" आपका ही सहारा है हर मुसीबत की घड़ी से आपने ही उबारा है!!
बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ आजकल कि ऐ ज़िन्दगी तुझपर मेरा अब कोई ज़ोर नहीं चलता, और इस Social Distancing ने इतनी दूरियां पैदा कर दी हैं, कि मैं तनहा सा लगता हूँ हमेशा, संग कोई और नहीं चलता!!
जब उनके निशान ढूंढने चले, अपने पैरों के निशान छूट गए, गैरों को मनाने की कोशिश में, कई अपने रूठ गए ये वक़्त ही है जो न जाने क्या सिखाने को बेताब है उन्हें याद रखने की ख्वाहिश में हम खुद को ही भूल गए!!