Abhay Kumar   (अभय कुमार # swayamkriti)
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मैं लिखता हूँ इसलिए, क्यूंकि दिल में बहुत कुछ है.. इसलिए नहीं कि दिल टूटा हुआ है मेरा..
Joined 30 April 2020


मैं लिखता हूँ इसलिए, क्यूंकि दिल में बहुत कुछ है.. इसलिए नहीं कि दिल टूटा हुआ है मेरा..
Joined 30 April 2020
14 JUN 2021 AT 23:42

ये भय का साया
ये डरी-डरी सी ज़िन्दगी,
हर ख़ुशी में छुपे
ना जाने कितने गम हैं,

जब भी हम खुद को
उससे बड़ा समझने लगते हैं,
समय-2 पर वो बताता है
महज कठपुतलिओं से हम हैं!!


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17 MAY 2021 AT 22:52

इन दिनों मौत बड़े नज़दीक से देखी है
और अब जाना है कि ज़िन्दगी मौत से तीखी है!!


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13 MAY 2021 AT 12:19

इस प्रलय के दौर में "माँ" आपका ही सहारा है
हर मुसीबत की घड़ी से आपने ही उबारा है,
आँखों के सामने हमारे अपने दम तोड़ रहे हैं
हम बेबस, लाचार से खड़े बस रो रहे हैं,
एक अथाह समन्दर है, कई डूबती जानें हैं
और किनारे पर दम तोड़ती सैकड़ों मुस्कानें हैं,
अवतार लो मैया, अपने भक्तों की लाज रखो
आपने तो ना जाने कितने दुष्टों को संहारा है,
इस प्रलय के दौर में "माँ" आपका ही सहारा है
हर मुसीबत की घड़ी से आपने ही उबारा है!!



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26 APR 2021 AT 19:03

It's better to choose love
and satisfy yourself
till the time it exists
and keep adding
your friendship drops
time to time.

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26 APR 2021 AT 7:52

बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ आजकल
कि ऐ ज़िन्दगी तुझपर मेरा अब कोई ज़ोर नहीं चलता,
और इस Social Distancing ने इतनी दूरियां पैदा कर दी हैं,
कि मैं तनहा सा लगता हूँ हमेशा, संग कोई और नहीं चलता!!

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22 APR 2021 AT 11:42

जब उनके निशान ढूंढने चले, अपने पैरों के निशान छूट गए,
गैरों को मनाने की कोशिश में, कई अपने रूठ गए
ये वक़्त ही है जो न जाने क्या सिखाने को बेताब है
उन्हें याद रखने की ख्वाहिश में हम खुद को ही भूल गए!!



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13 APR 2021 AT 18:48

Life is like HELL.

Being a delhitie is a curse now.


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12 APR 2021 AT 16:57

डर उन दूरियों से क्या
जो दिलों के दरम्यान पहले
ज़माने में बाद में आती है,

डर तो उन नजदीकिओं से है
जो है नहीं हमारे बीच मगर
वो सबको दिखलाती है!!


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11 APR 2021 AT 21:02

I wish that you must miss me at least for once in your lifetime, the way I am missing you.


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10 APR 2021 AT 19:24

क्या ही ख्वाहिश थी मेरी, बस इतनी कि
शादी के एक कार्ड पर मेरा-तुम्हारा नाम हो,

जिस प्यार को छुपाते फिरे आज तक
उसका चर्चा अब आम हो,

और जो ख्यालों में तस्वीर गढ़ी थी तुम्हारी
दुल्हन की पोशाक में,

उस ख्याल की हकीकत वाली
एक मुकम्मल शाम हो!!



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