तुम अक्सर मुझसे कहती हो,
"देवदास है तू"
ना जाने किस की याद में उदास है तू !-
परेशानी होती है मेरी, जूझती हो तुम
दिखावा करते हैं सब दोस्ती का,
"और कैसा है तू?"...
ये भी सिर्फ पूछती हो तुम!-
ऐलान भी आज ये सरेआम होगा,
बंदे लड़ता रह हालातों से अपनी
तुझ से बड़ा एक दिन तेरा नाम होगा!!-
तुम मेरी जिंदगी में एक किरदार कुछ एसी विशेष हो गईं
साथ होते हुए भी ना जाने क्यों निःशेष हो गईं
क्योंकि जानता मैं हूँ और समझती तुम भी हो कि
मुलाकातें हमारी कुछ ही शेष रह गईं 😓😓-
मैं अब मैं नहीं, मैं जो मैं हुआ करता था
मैं जब मैं था,
मेरे भीतर बहुत "मैं" हुआ करती थी!-
दूर हो जाऊँ मैं कभी तुझसे,
मुझे यादों में जिंदा रखना
कभी याद आए मेरी तो..
मुझे चाय पसंद है मीठी...
उसे चखना!!-
अल्फाज़ तो सिर्फ ज़रिया हैं,
उनका ज़्जबात है तू।
दोस्ती शब्द बहुत छोटा है,
मेरे लिए उसका एहसास है तू !!-
होता नहीं है किसी के साथ ऐसे
खो रहा हूँ मैं किसी अपने को जैसे
चाहत इतनी कि न जाने बताता कैसे?
अपना होने पर भी लगता कभी गैरों जैसे
फिसलती रेत की तरह वक्त को थाम रहा था जैसे-तैसे
सब कुछ खरीद लूँगा पर एक "पल" खरीदुँगा कैसे ?
चाहे जितने भी हों पैसे !!-