Abhay Kant   (MuSAfir)
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मैं बढ़ता रहा कारवाँ जुड़ता गया
Joined 18 June 2018


मैं बढ़ता रहा कारवाँ जुड़ता गया
Joined 18 June 2018
23 MAR 2020 AT 11:16

तुम अक्सर मुझसे कहती हो,
"देवदास है तू"
ना जाने किस की याद में उदास है तू !

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18 MAR 2020 AT 20:30

परेशानी होती है मेरी, जूझती हो तुम
दिखावा करते हैं सब दोस्ती का,
"और कैसा है तू?"...
ये भी सिर्फ पूछती हो तुम!

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9 MAR 2020 AT 22:28

इस होली रंग नहीं, मरहम लगाएँ उनको
जिनके अपने उनके साथ नहीं रहे 😓

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3 MAR 2020 AT 22:18

ऐलान भी आज ये सरेआम होगा,
बंदे लड़ता रह हालातों से अपनी
तुझ से बड़ा एक दिन तेरा नाम होगा!!

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2 MAR 2020 AT 18:50

तुम मेरी जिंदगी में एक किरदार कुछ एसी विशेष हो गईं
साथ होते हुए भी ना जाने क्यों निःशेष हो गईं
क्योंकि जानता मैं हूँ और समझती तुम भी हो कि
मुलाकातें हमारी कुछ ही शेष रह गईं 😓😓

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1 MAR 2020 AT 13:25

मैं अब मैं नहीं, मैं जो मैं हुआ करता था
मैं जब मैं था,
मेरे भीतर बहुत "मैं" हुआ करती थी!

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29 FEB 2020 AT 18:39

दूर हो जाऊँ मैं कभी तुझसे,
मुझे यादों में जिंदा रखना
कभी याद आए मेरी तो..
मुझे चाय पसंद है मीठी...
उसे चखना!!

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29 FEB 2020 AT 12:58

अल्फाज़ तो सिर्फ ज़रिया हैं,
उनका ज़्जबात है तू।
दोस्ती शब्द बहुत छोटा है,
मेरे लिए उसका एहसास है तू !!

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22 FEB 2020 AT 15:35

ज्ज़बात समझें,
अल्फाज़ तो सिर्फ ज़रिया है!!

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17 FEB 2020 AT 15:42

होता नहीं है किसी के साथ ऐसे
खो रहा हूँ मैं किसी अपने को जैसे
चाहत इतनी कि न जाने बताता कैसे?
अपना होने पर भी लगता कभी गैरों जैसे
फिसलती रेत की तरह वक्त को थाम रहा था जैसे-तैसे
सब कुछ खरीद लूँगा पर एक "पल" खरीदुँगा कैसे ?
चाहे जितने भी हों पैसे !!

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