Abhay Gupta   (Abhay Gupta✍)
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Joined 18 March 2020


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Joined 18 March 2020
14 APR 2023 AT 11:32

होने बहुत जरूरी है
कुछ तीखे, कुछ मीठे, कुछ खारे, कुछ कड़वे तो कुछ कसैले से
अगर ये रहेंगे तभी तो ज़िंदगी में मज़ा है
वरना ज़िंदगी बस बेस्वाद सी होकर रह जाएगी...!!

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24 FEB 2023 AT 15:25

हर हाल में मुस्कुराया करें
बीती बातों को भूल जाया करें

जो ना समझे आपको
उन नासमझों को भूल जाया करें

किसी का बात भूल जाया करें
कुछ लोग भूल जाया करें
कुछ ज़ख्म भूल जाया करें
कुछ गम भूल जाया करें

नम होती आंखे जिस वजह से
उस वजह को भूल जाया करें

दुख पहुंचती बातों को भूल जाया करें
पीड़ा पहुंचाते लोगों को भूल जाया करें

कुछ अपनों के डंक भूल जाया करें
कुछ सपनों के रंग भूल जाया करें

हाल अच्छा हो या बेहाल बस...
हर हाल में मुस्कुराया करें

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9 DEC 2022 AT 20:33

क्यूं खोये खोए से है
क्यूं गुमसुम से है
क्यूं उदास है हम
क्या खोया है हमने
क्या पाना चाहते है हम

क्यूं नाराज़ से है
क्यूं जकड़े से है
क्यूं बंधे से है
क्यूं कह नहीं पाते हम
जो कहना चाहते है हम

क्यूं दिल बैठा सा है
क्यूं धड़कन रुकी सी है
क्यूं अंदर ही अंदर कुढ़ रहे है हम
क्यूं कुछ कर नहीं पा रहे हम

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29 NOV 2022 AT 22:09

बात बात पर नाराज़ ना हुआ कर ए ज़िंदगी
चेहरे की ये हंसी बहुत कीमती होती है...!!

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27 NOV 2022 AT 8:19

कुछ किस्से ऐसे भी होते है
कुछ रिश्तें प्यार के ऐसे भी होते है

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24 NOV 2022 AT 21:52

तुम्हें कहीं ऐसा तो नहीं लगता,
कि मैं तुम्हारे हुस्न पे फ़िदा हूं...

ना ना ना ना ना.......

मैं तो उस पर फ़िदा हूं
जिस पर खुद, खुदा फ़िदा है...!!

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22 NOV 2022 AT 15:55

ज़रूरी नहीं
कि
हर बात बोली जाए
कुछ बातें
ख़ुद से समझनी होती है!

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17 NOV 2022 AT 20:36

.....

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16 NOV 2022 AT 21:18

परेशां ना हो मेरे दोस्त
वक्त ही तो है... गुजर जाएगा!

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15 NOV 2022 AT 16:36

गांव में मकान भले ही छोटे हो पर
इज्ज़त का सेहरा बड़ा ख़ूब देखा है

शहर में मकान भले ही होते बड़े पर
इज्ज़त का सेहरा थोड़ा छोटा देखा है

गांव में ऊंची इमारतें नहीं पर
यहां का दिल बहुत बड़ा देखा है

शहर में ऊंची इमारतें देखी पर
वहां का दिल बहुत छोटा देखा है

जहां गांव में कुछ लोग में भी अपने दिख जाते पर
शहर की भयंकर भीड़ में भी सिर्फ़ गैरों को ही देखा है

गांव में हर गली, मोहल्ले, हर जगह सुकून है पर
शहर के महलों में, बंगलों में, सुकून नहीं देखा है

गांव के पेड़ की छाया में बैठ थकान उतरते देखी है पर
शहर के AC कमरों में अक्सर शरीर अकड़ते देखा है

गांव की शादी में हिस्सेदारी देखी है
शहर की शादी में कर्जदारी देखा है

गांव की हर चीज प्यारी और बातें निराली है
शहर की हर चीज और बातें सिर्फ दिखावट की देखा है!

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