गांव में मकान भले ही छोटे हो पर
इज्ज़त का सेहरा बड़ा ख़ूब देखा है
शहर में मकान भले ही होते बड़े पर
इज्ज़त का सेहरा थोड़ा छोटा देखा है
गांव में ऊंची इमारतें नहीं पर
यहां का दिल बहुत बड़ा देखा है
शहर में ऊंची इमारतें देखी पर
वहां का दिल बहुत छोटा देखा है
जहां गांव में कुछ लोग में भी अपने दिख जाते पर
शहर की भयंकर भीड़ में भी सिर्फ़ गैरों को ही देखा है
गांव में हर गली, मोहल्ले, हर जगह सुकून है पर
शहर के महलों में, बंगलों में, सुकून नहीं देखा है
गांव के पेड़ की छाया में बैठ थकान उतरते देखी है पर
शहर के AC कमरों में अक्सर शरीर अकड़ते देखा है
गांव की शादी में हिस्सेदारी देखी है
शहर की शादी में कर्जदारी देखा है
गांव की हर चीज प्यारी और बातें निराली है
शहर की हर चीज और बातें सिर्फ दिखावट की देखा है!
-