जीवन
-
सफर ए मोहब्बत में पेंच ओ ख़म हैं बहुत,
कोशिशें उन्हें प... read more
देह मेरी ठहर गयी है,
साँस देखो जा रही,
बहार पतझड़ सी हुई है,
ये प्रेम कैसा निभा रही,
भंवर कुमुदनी के वियोग में,
नेत्रों से पीड़ा कह रहा है,
ह्रदय गर्भ से भाव तरल,
विरह को लेकर बह रहा है,
मुख कोपल मन वंदना,
बोलने को आतुर से हैं,
मनाकाश में मेघ पीड़ा,
गर्जन लिए ठहरे हुए हैं,
#अभय-
जब से देखा तेरा चेहरा,
मेरी दुनिया ठहरी है,
तुझसे मिलकर साँसें मेरी,
रहती बिखरी बिखरी हैं,
आँखें तेरी शरमा के जब,
गिरती हैं और उठती हैं,
तेरी काया फिर मुझको,
और भी सुन्दर लगती है,
जब तुम हँसती और गालों पे,
डिम्पल गहरा पड़ता है,
देख के तुझको फिर दिल मेरा,
धकधक धकधक करता है,
तेरी बोली की खनखन,
कानों में जब पड़ती है,
प्रेम की तब सारी तरंगे,
कलकल करने लगती हैं,
#अभय-
तेरे सिरहाने बैठकर ग़ुज़र जाए ज़िन्दगी,
तेरे सिर्फ नाम से सँवर जाए ज़िन्दगी,
मेरे कान्हा मेरे गिरधर ऐ मेरे मुरलीधर,
तेरी मुरली सुनकर ठहर जाए ज़िन्दगी,
#अभय
-
रिश्ते फिर कभी निभाए नहीं गये,
हाले दिल फिर कभी सुनाये नहीं गये,
एक दिन बेवज़ह वो रूठ कर बैठे गये,
दिल से दिल फिर कभी लगये नहीं गये,
#अभय-
ना जाने क्योँ बिखऱ गयी है ज़िन्दगी,
तेरे शहर आके ठहर गयी है ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी छोटी नहीं है यक़ीनन मग़र,
ये सिमट तुझ पर गयी है ज़िन्दगी,
#अभय-
ज़िन्दगी अब तन्हा हो चली है,
जाने कब किस मोड़ खड़ी है,
हमने छोड़ दिया सबसे निभाना,
जब अस्ले उल्फ़त पता चली है,
बेशक़ उनकी निगाहें नशीली हैं,
मग़र उनकी नियत नहीं सही है,
#अभय-
तुम इस क़दर करीब आ जाओ,
मेरी आँखों में समा जाओ,
मैं लिखता रहूँ तुमको हर दम,
मुझे ऐसा दीवाना बना जाओ,
ये जो मरासिम है दरमियाँ,
कुछ पल सही पर निभा जाओ,
#अभय-