इश्क में रूठना,मनाना तो चलता है
तभी तो इश्क ताउम्र जिंदा रहता है
उल्फत में फायदे,नुकसान का वो नहीं सोचती
ऐसे शख्स के लिए मर जाना तो बनता है ।
शर्त लगाया था किसी ने की तू भी रोएगा
मैं खुश हूं,उस शख्स पर जुर्माना तो बनता है-
Just live and let li... read more
हकीकत में किसको किसकी फिकर है
हमने जिसे चाहा पता नहीं आजकल वो किधर है।
हकीकत ये भी है की हमें भी आजकल होश नहीं
अभी मैखाने आया था,भूल गया इधर है या उधर है।-
तेरे सभी यादों को कैसे मैं भूल जाऊं
तुम तो दूर गई मुझसे मैं कैसे चला जाऊं।
वादें थे तेरे सब झूठे,न जान सका
क्या हकीकत थी तेरी न पहचान सका।
तूने वार किया सीधा दिल पर वो खंजर कहां थी छुपाई।
वफा न रास आई तू जियो हरजाई।-
कलम की ताकत हर किसी को नहीं दिखता।
सच लिखने का हुनर है मुझमें आसानी से मैं नहीं बिकता।
गर मिलना हो मुझसे तो पहले बता कर आना।
जबसे शायर बना हूं मैं घर पर नहीं मिलता।-
जब नज़रे नहीं होंगी,तो नज़रों का क्या होगा।
जब सांसे नहीं होंगी,तो जिंदगी का क्या होगा।
बात बात पर मत रूठा कर मुझसे ए जानेमन
गर एक बार मैं सो गया तो सोच तुम्हारा क्या होगा।-
तेरे इश्क़ का मुझे फितूर हो गया।
तू मेरी है इसका मुझे गुरूर हो गया।
जब गया तेरे घर तेरा हाथ मांगने
तेरा हाथ किसी और के हाथ में देख सब चकनाचूर हो गया।
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कुछ तो बुरा साथ उसके हुआ होगा।
तभी तो घर जाने के लिए वो लड़ा होगा।
अपने शरीर में दर्द किसको पसंद हैं दोस्त।
मजबूर था,तभी तो पैदल घर को चला होगा।
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चलो आज उसको,उसी की महफ़िल में बदनाम करते हैं।
बहोत हो चुका शराफत,चलो उसके हकीकत को सरेआम करते हैं।
गर होश में रहा तो सयाद उसकी सच्चाई ना बता पाऊं।
तो चलो पहले शराब का इंतजाम करते हैं।
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मेरा किया हर गुनाह मुझे नजर आता हैं।
वो पास भी नहीं,ना ही उसका खबर आता हैं।
मालूम ना था इतना अकेला हो जाऊंगा उसके जाने से।
अब खुदको आइने में देखता हूं तो तरस आता हैं।
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शरारत छीन लिया,शराफत छीन लिया।
शहर आए बड़े ख्वाब लेकर,ख्वाब ने गांव छीन लिया।
घर मिट्टी का था गांव में, राहत फिर मिलता था।
शहर के ऊंचे ऊंचे मकानों ने सुकून छीन लिया।
बेबकुफ था मैं बेकार ही मेरा जिद था।
मेरी बेवकूफी और जिद ने मुझसे मेरा परिवार छीन लिया।
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