Abhash Vatsa Aarb   (Abhash vatsa aarb)
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Joined 1 October 2017


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23 JUL 2021 AT 0:53

हकीकत में किसको किसकी फिकर है
हमने जिसे चाहा पता नहीं आजकल वो किधर है।
हकीकत ये भी है की हमें भी आजकल होश नहीं
अभी मैखाने आया था,भूल गया इधर है या उधर है।

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2 MAY 2021 AT 15:21

तेरे सभी यादों को कैसे मैं भूल जाऊं
तुम तो दूर गई मुझसे मैं कैसे चला जाऊं।
वादें थे तेरे सब झूठे,न जान सका
क्या हकीकत थी तेरी न पहचान सका।
तूने वार किया सीधा दिल पर वो खंजर कहां थी छुपाई।
वफा न रास आई तू जियो हरजाई।

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4 JUL 2020 AT 11:54

कलम की ताकत हर किसी को नहीं दिखता।
सच लिखने का हुनर है मुझमें आसानी से मैं नहीं बिकता।
गर मिलना हो मुझसे तो पहले बता कर आना।
जबसे शायर बना हूं मैं घर पर नहीं मिलता।

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4 JUL 2020 AT 8:31

जब नज़रे नहीं होंगी,तो नज़रों का क्या होगा।
जब सांसे नहीं होंगी,तो जिंदगी का क्या होगा।
बात बात पर मत रूठा कर मुझसे ए जानेमन
गर एक बार मैं सो गया तो सोच तुम्हारा क्या होगा।

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8 JUN 2020 AT 14:09

तेरे इश्क़ का मुझे फितूर हो गया।
तू मेरी है इसका मुझे गुरूर हो गया।
जब गया तेरे घर तेरा हाथ मांगने
तेरा हाथ किसी और के हाथ में देख सब चकनाचूर हो गया।

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20 MAY 2020 AT 21:01

कुछ तो बुरा साथ उसके हुआ होगा।
तभी तो घर जाने के लिए वो लड़ा होगा।
अपने शरीर में दर्द किसको पसंद हैं दोस्त।
मजबूर था,तभी तो पैदल घर को चला होगा।

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20 MAY 2020 AT 12:33

चलो आज उसको,उसी की महफ़िल में बदनाम करते हैं।
बहोत हो चुका शराफत,चलो उसके हकीकत को सरेआम करते हैं।

गर होश में रहा तो सयाद उसकी सच्चाई ना बता पाऊं।
तो चलो पहले शराब का इंतजाम करते हैं।

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19 MAY 2020 AT 13:45

मेरा किया हर गुनाह मुझे नजर आता हैं।
वो पास भी नहीं,ना ही उसका खबर आता हैं।
मालूम ना था इतना अकेला हो जाऊंगा उसके जाने से।
अब खुदको आइने में देखता हूं तो तरस आता हैं।

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11 MAY 2020 AT 13:30

शरारत छीन लिया,शराफत छीन लिया।
शहर आए बड़े ख्वाब लेकर,ख्वाब ने गांव छीन लिया।

घर मिट्टी का था गांव में, राहत फिर मिलता था।
शहर के ऊंचे ऊंचे मकानों ने सुकून छीन लिया।

बेबकुफ था मैं बेकार ही मेरा जिद था।
मेरी बेवकूफी और जिद ने मुझसे मेरा परिवार छीन लिया।


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10 MAY 2020 AT 13:18

कामयाब बनने के बाद भूल गया था।
मां जेवर बेचे थी,फिर कामयाबी घर आया था।

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