जब हृदय की धाराएं परिवर्तित होती हैं और मन में तूफ़ान उठता है ,
तब अक्सर आंखें हंसती है और मौन अधरों पर सवाल होता है ।-
🎂🎂December 26🎂🎂
इतने ग़म क्यों रखते हैं ज़िन्दगी में ?
जीने के दिन ही आखिर कितने हैं ।
इतनी उम्मीद क्यों रखते हैं गैरों से ?
जब सगे ही अब नही अपने हैं ।-
डर नही लगता इस दुनिया से अब ,
मेरे महादेव जो हर पल साथ हैं ,
हर शिखर पार कर जायेंगे हम ,
साथ हमारे महाकाल का आशीर्वाद है |-
मैं करती हूं ,
क्षण मात्र
तुम्हारे प्रतिबिंब को देखने की
प्रतीक्षा..............
ठीक वैसे
जैसे आजीवन तड़पती है
आत्मा ......
मृत्यु उपरांत
परमात्मा से मिलन की
प्रतीक्षा में.....-
तुम इत्तिला करते रहना की मौजूद हो ,
हम समझ लेंगे कि जहां भी हो महफूज़ हो ।-
हम ज़माने की लाख जंग जीतें क्या ही फ़र्क पड़ता है ?
अपने दिल की हर जंग हमने हंसते हुए हारी है ।-
खुश दिखना ,
मौन रहना ,
शांति लिखना ,
आसान नहीं होता ।
कितने ही भरोसे टूटते हैं ,
कितने ही रिश्ते छूटते हैं
और अनगिनत बार
हृदय रोता है ,
तब जाकर मानव
तटस्थ होता है ।-
एक चराग़ जलाना है दिल की दहलीज़ पर ,
कोई मुद्दतों से अंधेरा करके गया है ।-
जब तुम आना
तो आना खाली हाथ ,
न लाना साथ वादे अपने ,
न लाना झूठी उम्मीदों की सौगात ।
जब तुम आना
तो लाना साथ प्रेम ,
ले आना एक भरोसा ,
और न जाना
सांसारिक मोहमाया में उलझकर
मुझसे कहीं दूर ।
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एक लेखक उतारता है
अपनी व्यथा कोरे कागज पर ,
जब उसकी व्यथा समझने वाला
उसका कोई अपना नही होता ,
और जब उसका दुख
अत्यधिक हो जाता है |
पर लेखक के उस दुख का क्या ?
जिसकी आग में वो जलता है ,
जिसे लिखने की वो
हिम्मत भी नही करता है ,
और रहता है भयभीत
इस बात से कि कहीं उसका दुख
प्रकट न हो जाए संसार के सामने
और उसे झूठी सहानुभूति के कर्ज से ,
आजीवन दबना न पड़ जाये |
_ Abha✍✍
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