Abeer Saifi  
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Joined 23 September 2019


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19 OCT 2023 AT 23:57

वो लफ्ज़ ही नहीं है कहीं जो बयां करें
मैं शुक्रिया करूंगा तिरा किस ज़बान में

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18 OCT 2023 AT 20:06

प्यास की शिद्दत कोई प्यासा बयां करे
मुझसे कहोगे तो उसका नाम ही लूँगा

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17 OCT 2023 AT 22:48

मेरे लफ़्ज़ों में मेरी चाहतें देखो
तलाश कर लहजे में नफ़रतें मेरी

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14 OCT 2023 AT 0:12

नज़्म खुद को सुनाते रहे बारहा
रात भी थक गई सो गयी कहकशां

आँख लिखती रही काग़ज़ों पे मगर
मर गयी है कलम सो गयी है ज़बां

वो शजर इश्क़ में किस क़दर है गिरा
साँस लेती नहीं हैं वहाँ तितलियाँ

इक अकेले हम ही हैं यहाँ जग रहे
बुझ गयी है शमा बुझ गयी बस्तियाँ

जिस जगह याद उनकी नदारद मिले
उस गुज़र तक चलेगा मिरा कारवाँ

ऐ 'अबीरा' रहम कुछ करो रात पर
है ज़मीं सो गयी सो गया आसमाँ

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18 NOV 2022 AT 22:13

शीशों से देखता हूँ बाहर को हसरतों से
बाहर को जो खड़े हैं शीशों में देखते हैं

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2 NOV 2022 AT 22:31

हसरतें, वफ़ाऐं, उम्मीदें और सुकून
इन्नालिल्लाही वइन्नाइलयही राजिऊन

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28 OCT 2022 AT 0:08

इक माँ अज़ीज़ है आलम-ए-तमाम में रब
उसकी सलामती हो हर इक सलाम में रब

उस दिल की आरज़ू है वो तेरे दर पे आए
मैं उसको ले के जाऊँ बैत-उल-हराम में रब

मैं उसको देखता हूँ बादल में कहकशां में
उसकी झलक मिले है माह-ए-तमाम में रब

ख़ाहिश कभी नहीं की ज़ाहिर यकीं करोगे
वो ख़ुश रही सदा ही मेरे इंतज़ाम में रब

मुझसे सवाल पूछा किसका मक़ाम अफ़ज़ल
मैं झूठ बोल आया तेरा मक़ाम या रब

रस्ता है जन्नतों का उसके कदम के नीचे
'सैफ़ी' वहीं से आए दार-उस-सलाम में रब

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26 OCT 2022 AT 22:23

हुस्न-ओ-शबाब के यहाँ दीवाने और हैं
मुझको ख़बर है आपके अफ़साने और हैं

नज़रों से पी रखी है तिरी अब नहीं तलब
वरना शहर में आपके मैख़ाने और हैं

कुछ भी नहीं हुनर क पता आपको अभी
जलवे शायरी के मुझे दिखलाने और हैं

यारों कि महफ़िलों में मुझे अब न ले चलो
जाने को तो यहाँ अभी वीराने और हैं

है ये क्या ख़ता कि अभी जल के बुझ गयी
जलने को ऐ शमा अभी परवाने और हैं

अपनों कि ज़्यादती पे अभी चश्म नम न हों
'सैफ़ी' अभी जहान में बेग़ाने और हैं

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25 OCT 2022 AT 23:27

याद उसकी जगाये नशा या ख़ुदा
हो गयीं फ़िर नमाज़ें कज़ा या ख़ुदा

जब सुकूं याद-ए-बिस्मिल में मिल जायेगा
कौन सजदे करेगा बता या ख़ुदा

रात जुगनू परेशान करते रहे
उसपे चंदा भी ऐसा झुका या ख़ुदा

बात ऐसी नहीं है कि काफ़िर हैं हम
बस ख़ुदा है हमारा जुदा या ख़ुदा

पेड़ पौधों को ऐसी सज़ायें न दो
उनपे जायज़ भी ना हो हवा या ख़ुदा

बात निकली है तो दूर तक जाएगी
मैं मुहब्बत में हूँ मुब्तला या ख़ुदा

आज आई है हस्ती मिरे क़ब्र पर
मरहबा मरहबा मरहबा या ख़ुदा

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20 OCT 2022 AT 22:38

ख़्याल आता नहीं किसी का मुझे ज़रा देख लो डॉक्टर
क्या परेशान हूँ या बीमार हूँ मैं कुछ तो कहो डॉक्टर

अगर ज़रा सा बुख़ार है इश्क़ तो उतरना भी है लाज़िम
मुझे दवा दो मुझे शफ़ा दो इलाज कुछ तो करो डॉक्टर

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