Abdur Raqueeb   (Rakib)
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Joined 12 April 2020


Joined 12 April 2020
27 JAN 2022 AT 10:10

मज़लूम के फज़ायेल पर खुश ना हो...
बसा अवक़ात ज़ुल्म सहना तुम्हें ज़ालिम बना देता है

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12 JAN 2022 AT 20:40

मुझको इस बार भी फसाने की
कोई तदबीर नई बुनी होगी
मैंने जो बात कभी कही भी नहीं
उसने वो बात भी सुनी होगी

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17 AUG 2021 AT 19:00

यूं मुहब्बत में बिखरने को
संवरना नहीं कहते क्या
तुम्हारे बग़ैर जीने को
मरना नहीं कहते क्या

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11 AUG 2021 AT 10:29

तुम कहते हो की तुम आज़ाद हो,
हालांकि तुम्हे इस बात की फिकर ने कैद कर रखा है कि लोग क्या कहेंगे

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25 JUL 2021 AT 21:48

इस कमउम्री में इब्तिलाए मर्ज़ ए इश्क़
ज़ुल्मो सितम है सर ता पा अज़िय्यत है
दूर रहने की कोशिशें की लेकिन
तुम्हारे चेहरे में जाज़बिय्यत है

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15 JUL 2021 AT 12:34

कुछ भी पाना हो तो मेहनत करना
सिर्फ कहने से कुछ नहीं होगा
राह चलने से मिलेगी मंज़िल
राह तकने से कुछ नहीं होगा

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8 JUL 2021 AT 11:57

ए मुअब्बिर बता कोई हसीं ताबीर
ख़्वाब में उसको पास देखा था
मै भला कैसे खुश रहूंगा सनम
मैंने तुमको उदास देखा था

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7 JUL 2021 AT 14:25

जब तुम्हें भूलना ही इलाज़ है
फिर तो ये मर्ज़ मेरा लाइलाज़ है

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5 JUL 2021 AT 19:19

कभी अल्फ़ाज़ भी चुभते हैं नश्तर की तरह
मुंह जो खोलो तो पहले सोचा करो
ए मुझ में ऐब देखने वाले
तुम कभी आईना भी देखा करो

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4 JUL 2021 AT 14:16

मेरे हर जवाब को बेअसर
कर दिया है तेरे सवाल ने
तेरी यादों को तक़्वियत दे दी
तुझे भूलने के ख्याल ने

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