Abdul73628   (#abdul73628)
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Joined 20 November 2018


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Joined 20 November 2018
30 NOV 2022 AT 16:47

क्या ख़याल पूराने हैं,
क्या लफ्ज़ चुनने हैं,
*न सोचा कभी*
*न सोच पाऊँगा…*

बस लिखता जाऊँगा
इस सफ़र के जो
*तज़ुर्बे होंगे....*

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28 NOV 2022 AT 0:24

तेरे मर्ज से मिला वो रास्ता, आज भी अधूरा है।
अपने निशां मिटाने भी, तू लौटकर ना आए

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27 NOV 2022 AT 23:44

किसको दोष दे मुसलसल अपने गम़ का,
अपने हाल के हम ख़ुद ही ज़िम्मेदार हैं।

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26 JUL 2020 AT 17:45

भीड़ में भी तुझे पहचानने का हुनर तुझसे ही मिला है,
प्यारी सी मुस्कान देखकर हमे भी मुस्कुराने का मौका मिला है ।

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29 NOV 2021 AT 23:27

क्या हाल चाल रह गया अब,
जिंदगी बस व्यस्त रखती है अपनी उलझनों में

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25 SEP 2021 AT 19:48

पहले तो सिर्फ़ भीड़ में ही तन्हाई का एहसास था,
अब तो तन्हाई में भी तन्हाई का बसर हैं।

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22 SEP 2021 AT 15:12

चाहने वाले तो बहुत देखे,
मगर कोई उनसा नहीं।
उनकी आँखें ही काफ़ी थी मेरा दिल चुराने को,
होश संभाला तब जाना हमने कभी उनसे अपना हाल-ए-दिल ब्यान ही न किया था।।

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21 SEP 2021 AT 17:18

कोई आसमानों से कह दो,
बरसना बंद कर दे।
यहाँ आँखों से जो अश्क बह रहे है,
कहीं सैलाब बन अपने संग सब बहाने ले जाए।।

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20 SEP 2021 AT 16:47

पहुँचू चाहे जब भी तुम्हारे पास
यकीन इस बात का है,
तुम्हारी बाहों मैं 'नींद' सुकून से भरी होगी।

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19 SEP 2021 AT 11:03

क्या बताएं इश्क़ तुमसे गहरा है,
इन आँखों पर सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा पहरा है।

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