खामोशी की भी एक ज़ुबां होती है,
हर चुप्पी में गहरी दास्तां होती है।
ना शोर होता है, ना साज़ होता है,
पर दिल से निकला गहरा राज़ होता है।
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पेशे से मे इंजीनियर हूँ
शौक से कलमकार हूँ
नौकरी करता हूँ पेट भरने के ... read more
दिल में हो अगर सच्चा विश्वास,
अंधेरों में भी दिखे प्रकाश।
यही है जीवन की सबसे बड़ी आस।
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धरा पुकारे अम्बर गूंजे वीरों की ये गाथा है,
त्याग, तपस्या, बलिदानों की, अनुपम ये गाथा है।
शीश कटे पर झुक न जाए, ऐसा उनका प्रण था,
मातृभूमि के मान मे प्राण न्यौछावर हो ऐसा उन का प्रण था
चल पड़े जो रणभूमि को, फिर पीछे मुड़ते नहीं,
धधक उठे जब देशद्रोह, ये दीपक बन बुझते नहीं।
हर जख्म उनकी शान बना, हर आँसू में गर्व था,
भारत माता के चरणों में, जीवन उनका अर्पण था।
चेतक की टापों में गूंजा, प्रताप का वह हौंसला,
गगन हिला, धरती कांपी, जब लड़ा कोई झांसी वाला।
वीरों की इस पुण्य कथा को, युग युग तक हम गाएँगे,
उनके बलिदान और साहस को, हर दिल में बसाएँगे।-
दिल तो मासूम सा है, हर किसी पे आ जाता है,
पर हर बार बिखर कर कुछ सिखा जाता है।-
भीगें जो रंगों में, वो रूह तक निखर जाते हैं,
होली में सारे दिलों के बैर भी उतर जाते हैं।
हवा में घुली खुशबू, मोहब्बत का खुबसूरत पैगाम,
रंगों की बोली में सब गिले-शिकवे गुजर जाते हैं।
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सजाए जितने ख़्वाब सारे उजड़ते चले गए
संवरने की ख़्वाहिश में और बिगड़ते चले गए
रिश्तों की गिरहों में यूं उलझी है ज़िंदगी यह
सुलझने की कोशिश में और उलझते चले गए
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वीरों की कुर्बानी का बल,
गूंजे हर गली, हर पल।
गौरव से चमके देश हमारा,
जय जय भारत गणतंत्र हमारा।
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जायका ज़िंदगी का, सीख लो मुस्कुराना,
हर स्वाद में छुपा है, जीने का बहाना।
कभी खट्टा, कभी मीठा, यही है इसका खेल,
इसे अपना लो दिल से, यही सच्चा मेल।-
वो पुराने खत,
जो अब धूल में सिमटे हैं,
अलमारी के एक कोने में,
वक्त की परतों में छिपे हैं।
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तन्हाई का रंग चढ़ा, दिल को ऐसे भाया,
हर कोना खामोश दर्द को दिल मे ऐसे भाया।
यादों की सरगम में खामोशियां गूंजती रही
ख़ामोश दिल में बेदार सपनो को रहना ऐसे भाया |-