यंही गवाया है सुकू, यंही वो साल रहा।गए सब जीत, तेरी हार का मलाल रहा।कई अंदाज़ थे, फिर भी पुराना हाल रहा।मेरा हर हाल में बस हिज्र हलाल रहा। -
यंही गवाया है सुकू, यंही वो साल रहा।गए सब जीत, तेरी हार का मलाल रहा।कई अंदाज़ थे, फिर भी पुराना हाल रहा।मेरा हर हाल में बस हिज्र हलाल रहा।
-
पीना न पीना भी, अपनी जगह है।जहर जानलेवा भी अपनी जगह है।जब-जब भी गुजरे कर कर के तौबा।कदम लड़खड़ाना भी अपनी जगह है।रकीबों का संग भी अपनी जगह है।फकीरों का संग भी अपनी जगह है।समंदर से पूछो किनारों की मतलब।कहेगा वो दोनों भी अपनी जगह है। -
पीना न पीना भी, अपनी जगह है।जहर जानलेवा भी अपनी जगह है।जब-जब भी गुजरे कर कर के तौबा।कदम लड़खड़ाना भी अपनी जगह है।रकीबों का संग भी अपनी जगह है।फकीरों का संग भी अपनी जगह है।समंदर से पूछो किनारों की मतलब।कहेगा वो दोनों भी अपनी जगह है।
आम तो आम गुठलियों का भी दाम आएगा।पराए कंधों पर बैठ कर भी मकाम आएगा।दुआएं तो बेमतलब की जाती है, यू नहीं की।वो तरक्की कर गया तो मेरे भी काम आएगा। -
आम तो आम गुठलियों का भी दाम आएगा।पराए कंधों पर बैठ कर भी मकाम आएगा।दुआएं तो बेमतलब की जाती है, यू नहीं की।वो तरक्की कर गया तो मेरे भी काम आएगा।
जिंदगी निर्लज्ज काज करती है।भूखे से रोटी का मज़ाक करती है।कल परसों नरसों, झूठ है सब।वो जो करती है आज करती है।समझ के फेर में उलझा के मुझे।बेवकूफो की तरह नाज़ करती है।अनुशासन या समय का गुलाम।जर्रे जर्रे पर राज करती है। -
जिंदगी निर्लज्ज काज करती है।भूखे से रोटी का मज़ाक करती है।कल परसों नरसों, झूठ है सब।वो जो करती है आज करती है।समझ के फेर में उलझा के मुझे।बेवकूफो की तरह नाज़ करती है।अनुशासन या समय का गुलाम।जर्रे जर्रे पर राज करती है।
समझदारो की फ़ेहरिस्त हमें रास नहीं आई।अकल दांत जो आई तो उखड़वा दिए हमने। -
समझदारो की फ़ेहरिस्त हमें रास नहीं आई।अकल दांत जो आई तो उखड़वा दिए हमने।
'अंशु' ज़िद ने संभाल रखी है वफाएं कई।मैंने कई समझदार बेवफा होते देखे है। -
'अंशु' ज़िद ने संभाल रखी है वफाएं कई।मैंने कई समझदार बेवफा होते देखे है।
लिखते थे मुझको, खुद पे अदब से।मिटाने लगे हैं, मुझको वो सब से।समंदर और सहरा को भूल गया हूं।भूला हूं अपने, ख़्वाब मैं जब से। -
लिखते थे मुझको, खुद पे अदब से।मिटाने लगे हैं, मुझको वो सब से।समंदर और सहरा को भूल गया हूं।भूला हूं अपने, ख़्वाब मैं जब से।
शायद अब हम इंसान नहीं रहे।के जानने वाले, पहचान नहीं रहे।खुद को देख कर जलने वाले हम।तबाह हो गए पर मान नहीं रहे। -
शायद अब हम इंसान नहीं रहे।के जानने वाले, पहचान नहीं रहे।खुद को देख कर जलने वाले हम।तबाह हो गए पर मान नहीं रहे।
सभी जिस्मों ने ठुकरा दिया है मुझे।अब किसी रूह से लिपट जाऊंगा, खामखां मैं। -
सभी जिस्मों ने ठुकरा दिया है मुझे।अब किसी रूह से लिपट जाऊंगा, खामखां मैं।
नज़ारा देखो कि शब-ए-फ़ित्ना हैं।फरेबी फ़िराक़ आसमा जितना है।बलवा ही बलवा है मेरे शहर में।बंद घड़ी में बाकी वक्त कितना है। -
नज़ारा देखो कि शब-ए-फ़ित्ना हैं।फरेबी फ़िराक़ आसमा जितना है।बलवा ही बलवा है मेरे शहर में।बंद घड़ी में बाकी वक्त कितना है।