जीतेगा जो आज वो कल साहिब-ए-मसनद होगा ।
मेरा माज़ी था जैसा मेरा मुस्तक़बिल भी वैसा होगा ।
이십사년/ 오원 / 오십일
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Media student and a shayar atleast I was called Mysel... read more
"दिल" ज़रा तहज़ीब से मोहब्बत के रंग लगाओ
सुना है लोग चेहरों पे नफरत के रंग लगाए बैठे हैं-
मैं जो तुम्हे भूल जाऊँ।
मैं तुम्हे याद न कर पाऊँ।
तुम मुझे याद दिलाना और तुम ना मुझसे रूठ जाना॥
की कैसे जब हम मिलते थे,
चेहरे हमारे खिलते थे।
की तुम मेरे साथ चलते थे,
मेरे हाथों को थामा करते थे।
अब भी तुम चलते हो मगर अनजाने से लगते हो॥
अब मैं तुम से डरती हूँ ,
चुप-चुप ज़्यादा रहती हूँ।
साये से चीखा करती हूँ,
खोई-खोई सी लगती हूँ ।
बाते खुद से करने लगी और वादे सारे भूलने लगी॥
मैं चाहती हूँ तुम फिर याद आओ,
कुछ अपना फिर वक़्त चुराओ।
मैं आँखें बंद कर चुप हो जाऊँ,
तुम हाथों से पहचान जाओ ।
ख़ैर, तुम मुझे भूल जाना यूँ खुद को अब न तड़पाना॥
बहिश्त मे जब हम मिलेंगे,
बाते "दिल" खूब किया करेंगे।
बस तुम ये वादा करना मेरा साथ निभाते रहना॥-
यादों मे बस अब ये यादे रहेगी,
वादों मे बस अब मुलाकाते रहेगी,
हो जाएंगे मसरूफ़ हम सब अपने जहाँ मे
ज़हन मे सदा इन लम्हो की सौगातें रहेगी
मिलोगे किसी मोड़पर जब "दिलशाद"
कहने को अभय से बहुत बातें रहेगी-
किन्हीं यकजा से चेहरों मे कोई यकसाँ सा चेहरा था।
जो मेरा तसव्वुर था क्या वही तेरा तसव्वुर था।
तेरे साथ जीने को तड़पते हैं कितने ही
मुझे तेरे हाथों से मारना था तेरे हाथों पे मरना था।
न तेरे होठों की चाहत थी न तेरे दीदार की ख़्वाहिश
बस तेरे दिल को पढ़ना था तेरी नज़रों से पढ़ना था।
तेरा मिलना या न मिलना मेरा होना या न होना
मेरी क़िस्मत ने लिखा था तेरी तक़दीर ने जोड़ा था।
तूने इकरार भी "दिल" से बड़ी देर मे किया
मुझे पहले ये सुनना था तुम्हे पहले ये कहना था।-
मैं ''दिल'' की शायरी में आने वाली वो लड़की हूँ , जिसके नाज़ उसने उठाएं होंगे ।
अपने दर्द दिखाएँ है ज़माने को, क्या मेरे दर्द भी कभी उनको सुनाए होंगे ।
Main "Dil" ki shayari mai aane wali wo ladki hun, Jiske naaz usne uthaye honge.
Apne dard dikhaye hai zamane ko, Kya mere dard bhi kbhi unko sunaye honge.-
तुम्हे देख नशा आँखों में चढ़ गया
तुम मय हो या पूरा मय ख़ाना हो
تمہیں دیکھ نشاء آنکھوں میں چڑ گیا
تم مے ہو یا پورا مے خانہ ہو-
ज़िन्दगी मेरी जब तेरे अफ़सानों मे ढल गई
लोग कहते है दिल की शख्सियत बदल गई-
कुछ कागज़ों मे उलझे हुए रिश्ते
कुछ वक्त के हाथों बिछड़े हुए रिश्ते
याद आते हैं वो जो अब नही
कुछ मेरी गलतियों से टूटे हुए रिश्ते
गुमान की मौजो से निकाली जो कश्ती
कुछ साहिल किनारे डूबे हुए रिश्ते
मुझे ऐतबार था वो थाम लेगा
कुछ यकीन के सहारे छुटे हुए रिश्ते
वो बुज़ुर्गों की कहानी और गांव की हवेली
कुछ याद है ज़ेहन से मिटते हुए रिश्ते
दिल को है फ़िक्र की उनको मनाये कैसे
कुछ दिल के दहलीज़ पे रूठे हुए रिश्ते-