कभी - कभी स्वीकृति मे महत्तम दुःख होता है,
परंतु उसे स्वीकार कर लेना ही बेहतर है !!-
नि:शब्द हु बताने मे की पति-पत्नी का रिश्ता कितना प्रेम भरा और मधुरम होता है,
क्यूं कि यह वैसा ही है जैसे मातृ- पितृ का प्रेम !!
इस प्रेम की मधुरता जीवन की आखिरी सांस के छितिज तक बढ़ती जाती है,
प्यार जताना और दिखाना कोई कार्य नहीं है,
यह जीवात्मा मे जागृत असीम संवेदना है,जो आंखो की चमक, चेहरे की मुस्कुराहट और गरिमामय शब्द से बया होती है !!
मेरा प्रेम,मेरी पत्नी के लिए असीम रहेगा !!
(अहं धन्यः अस्मि, त्वां कामयामी )
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Sometimes it doesn't matter " what is wrong" and "what is right " ....
It matters what is favorable for the current situation....
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Parents are the first teachers who teach good manners before education..
Family is the only school where mental expression is formed along with mental aptitude....
माता पिता वो पहले शिक्षक है,जो शिक्षा से पहले सलीका सिखाते है..
परिवार वो मात्र स्कूल है, जहा मानसिक अभिरुचि के साथ मानसिक अभिव्यक्ति का निर्माण होता है ...
भाग्यशाली है हम जो हमे सर्वच्या सर्व शिक्षा मिला...
HAPPY TEACHERS DAY 🙏🙏-
अगर सारे TV channel's, सारे social media पर
" Tobacco is injurious to health, it causes cancer"
का advertisement चलाया जा सकता है..
तो! !!!!
"Rapist is carcinogenic to society, it causes plague ,And rapists will be hanged by the neck several times until the neck falls out of the body"
का advertisement क्यु नही चलाया जा सकता है....
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It's ok if you break my trust ,
But if I trust you again,it would be a shame on me....-
Rather then proving yourself to everyone...
Proving yourself to you only....
You can cheat, you can deceive everyone but you can't do it with yourself...-
Life is not so short,
Life is not so bad and worse,
Until you don't want to make it !!!
"Life is beautiful and long enough, beyond our expectations "-
कोई ग़ज़ल सुनाऊं या हवाओ से कोई धुन चुराउ मैं ..
आईने में तुम्हारे चेहरे को देखूं या अपनी आंखों मे तुम्हारे चेहरे को बसाऊं मैं..
बिंदी में, सिंदूर में, होंठो पर और हाथों में,
ये रंग मेरे नाम का हैं क्या??
ओह!! तुम भी तो जान हो मेरी,ये बात कैसे तुमको बताऊं मैं..-
मैं एक बालक हु छोटा सा;
जिसे पता नही धर्म क्या है;
और जाति क्या है;
पर अब समझ गया हू मैं,की मैं दलित हु अछूत हु!!
भले ही मेरा नाम हिंदू (इंद्र) जैसा लगता हो;
भले ही मेरा रक्त इंसान जैसा लगता हो;
भले ही मेरी जुबान सभी बच्चों जैसा मासूम लगता हो;
पर अब समझ गया हू मैं,की मैं दलित हु अछूत हु!!
बच्चा हु मै, थोड़ा चंचल हु मै;
प्यास लगी थी,मिट्टी के घड़े से थोड़ा पी लिया पानी मैने;
पीट पीट कर मार डाला मुझे,ऐसा क्या गुनाह कर दिया था मैने ;
मिट्टी सब की हैं,इस मिट्टी में हर जाति के हर धर्म के इंसान का कड़ है, यही बस जाना था मैने;
पर अब समझ गया हू मैं,की मैं दलित हु अछूत हु!!
मुझे बेरहमी से मार तो डाला,क्या मुझे मेरी मां को लौटा पाओगे;
सुनो धर्म के,जाति के ठेकेदारों , क्या इंसान तुम कहला पाओगे ;
झुटी अफसोस मत जताओ मेरी मौत का इंसानों,
गर मैं जिंदा भी हो गया तो,क्या मुझे अपना पाओगे !!
हां अब समझ गया हू मैं,की मैं दलित हु अछूत हु!!
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