Ab#¡l@$#@ $#@®m@   (अभि💘🌿)
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कुछ तो खाश है जो मुझे नाज़ बहुत है,❤
लाज़मी है वो जिससे मुझे प्यार बहुत है।❤
Joined 27 July 2019


कुछ तो खाश है जो मुझे नाज़ बहुत है,❤
लाज़मी है वो जिससे मुझे प्यार बहुत है।❤
Joined 27 July 2019
3 FEB AT 17:08

मुस्कुराती आवाज में भी जो परेशानी पहचान ले,
कोई दूजा हो ही नही सकता एक मेरे पापा के सिवा
जो ये कहानी जान ले।

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11 DEC 2023 AT 13:41

हां पूरी हो गई हूं मैं..... और खुश भी हूं...
पर फिर क्यों कुछ कमी लगती है

ये जो मैं हूं ना! ये मैं मुझे मैं नहीं लगती है...
दिन तो गुजर जाते हैं शाम भी निकल जाती हैं और राते भी कहां रात लगती है,
वक्त सिर्फ गुजरता जा रहा, कुछ दम वाली कहा बात लगती है।

जुनून भी है जज्बा भी है बहुत कुछ कर जाने का, जैसे अंदर ही अंदर कुछ आग लगती है,
जाने क्यों इतना मैने बदल लिया खुद को, ये जो नई मैं हूं ना! ये मैं मुझे बकवास लगती है।

यूं तो आजाद हूं मैं आजाद पंछी की तरह...
पर कुछ तो सलाखे है जैसे मेरे हाथ पैर और गले में, जो बोझ तले मुझे दबाए रखती है।
शायद ये जो बहुत सोचने की आदत है ना! मेरी शायद ये ही मुझे दबाए रखती है।

किसी और से उम्मीद बेकार है इस जगह मुझे समझने की,
क्युकी मेरी खुदकी ही मुझे समझने की क्षमता इस जगह कुछ कम लगती है।

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3 JUN 2023 AT 12:49

बात अगर दिल पर लगती है
तो दिमाग समझा लेता है

बात अगर दिमाग पर लगती है
तो दिल समझा लेता है

लेकिन बात अगर दिल और दिमाग
दोनो पर लग जाए
तो इंसान कहा जाए...

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22 MAY 2023 AT 20:51

हा रोए थे मेरे शिव अपनी सती के लिए
वो नही बचा पाए थे उन्हें

उन्होंने माता सती की जिद के आगे खुद को झुकाया था
यू ही नही उन्होंने सहा था सब उन्होंने माता सती को दिया वचन निभाया था
जब सती हो गई थी माता सती, मेरे शिव ने अपना सुध बुध सब गवाया था
वो भूल गए थे की वो भगवान है, प्रेम इस कदर उन पर छाया था

बेशक वो पा लेते अपनी शक्तियों से
शक्ति होते हुए भी उन्होंने अपने प्रेम और तपस्या से एक दूसरे को पाया था।

प्रेम... ये शब्द ही ऐसा है की बोलकर नही बताया जा सकता, ना समझाया जा सकता है।
प्रेम को समझने के लिए भावना से भरा हृदय चाहिए जो हर किसी के पास नहीं होता।

अफसोस की जब लोग समझ नही पाते वो गलत बाते फैलाने लगते है।

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22 MAY 2023 AT 20:32

क्या भगवान ने कहा था कि मुझे बांट दो और तुम भी बट जाओ
मेरे नाम से अफवाहें फैलाओ
कहीं मुझे उठाने के लिए मुझे ही गिराओ
कहीं बड़ा बताने के लिए छोटा बताओ
मेरे कई नाम रख दो किसी को अच्छा बताओ किसी को बुरा बताओ
मेरे नाम से गलत काम करो
मेरे नाम से हैवानियत फैलाओ

कब और कौनसा भगवान बोलता है कि डरो मुझसे
क्या सचमे ऐसा कोई भगवान है..???

मैं तो नही जानती ऐसे किसी भगवान को....
मैं जिस भगवान को जानती हु बस ये जानती हु की मैं बेटी हु भगवान मेरे लिए मेरे माता पिता समान है वो माता पिता जो बच्चो को खुश देखकर खुश होते है।

Sorry but वो भगवान तो बिल्कुल नही है जिनको डर की वजह से पूजा जाए।

डरना है तो इस बात से डरो की भगवान के नाम पर ऐसे पाप करने वालो तुम्हारा आगे क्या होगा।

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20 APR 2023 AT 0:36

किसी को आज जाना है, किसी को कल जाना है
सच यही है एक ना एक दिन सभी को जाना है
माटी के इस देह को क्यों बोझ बनाए कोई
किसी को फल मिल रहा है किसी को कर्म बनाना है
जो भी किया होगा जिसका वो फल भोग ही लेगा
क्या होगा सोचकर भला क्यों आशु बहाना है
क्यों चिंता में जिए जाना है क्या जीते जी मरे जाना है
छोड़ दो सबको अपने हालातो पे,
सबका अपना नसीब है, सबको अपना कर्ज चुकाना है

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10 APR 2023 AT 22:57

अब रोक लेती हु खुदको हर दफा
जब जब भी लगता है बह रही हु जज्बातों में
पर हो जाता है कभी कभी, नही रोक पाती हु
जब भी ऐसा होता है मैं हर बार पछताती हु
कह जाती हु सब कुछ जो भी दिल में होता है
लगता है जिसे बता रही हु वो मुझे समझता है
इस दिखावे की दुनिया में कौन किसे समझता है
जाकर औरों के सामने वो मेरे बारे बरसता है
मैं वाह वाही बटोर लेती हु लेखन के लिए अपने
वाह वाही देने वाला अपना रंग बदलता है
जब कुछ बात होती है वो मुझ पर ताने कसता है
कहता है लिखना आसा है निभापाना मुश्किल,
क्या सच में ऐसा है या वो मुझसे जलता है.???
पर खुश हु मै मशहूर हु लेखन से अपने
खुश हु जानकर की लेखन मेरा असर करता है...

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5 APR 2023 AT 22:49

कितना कहती हु मै मत हो तुम परेशान,
क्यों सभी का और हर कुछ सोचती हो तुम,
तुम्हारा भी जीवन है अपना
थोड़ा खुद का सोचो खुद के लिए कदम बड़ाओ
मैं जानती हु ये "तुम्हारी आदत है"
बदलदो इस आदत को
सर ऐसे ना झुकाए रखो अब जरा ऊपर
नजर उठाओ

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27 MAR 2023 AT 20:12

की बस अब कुछ भी ना करो।

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26 MAR 2023 AT 12:18

जो खो गई हैं कही, मैं वो फिरसे चाहती हु
माना मिलना मुश्किल है पर मैं वही चाहती हु
यकीन मान या ना मान अखरता बहुत है मुझे
जब जब याद करती हु फिर वही जीना चाहती हु
ना जाने क्या हुआ क्यू ये दरारे आ गई
जानती हु एहसास तुझे भी है ये जो बीच मे बात आ गई
इन्हे हटाकर इन्हे भरकर फिर पहले जैसा ही चाहती हु
जानती हु बदला बहुत कुछ है बीते दिनों तुझमे भी मुझमें भी
जानती हु कभी नही चाहती थीं ये तू भी और मैं भी,
जानती हु मुश्किल बहुत है फिर वही पहुंचना,
पर फिरभी मैं कोशिश करना चाहती हु...
माना बदलाव ही है जिंदगी का दूसरा नाम
पर ये बदलाव मैं कभी अपना ही नही पाई और ना कभी अपनाना चाहती हु,
सुन... तु बन जा ना पहले की तरह,
मैं बहुत याद करती हु पहले वाली तुझे और पहले वाली खुदको भी,
तु बन जा पहले की तरह मैं भी पहले जैसी बनना चाहती हु
कोई खास नही था तेरे सिवा मेरा और ना मेरे सिवा तेरा,
मैं फिर पहले की तरह तुझे खास करना चाहती हु खुद खास होना चाहती हु...
जानती हु खास तो मैं आज भी हु तेरे लिए और तु भी है मेरे लिए,
पर वो पहले सी बात नही है,
मैं बात ही तो वही पहले सी चाहती हु,
तुझे पहले सी चाहती हु, खुदको पहले सी चाहती हु,
जो भी हमारे बीच है वो सब पहले सा चाहती हु...
जो खो गई है कही... तु मैं और हमारी दोस्ती...
वही मैं फिरसे चाहती हु...
तु हो जा ना पहले की तरह चल मैं भी पहले सी हो जाती हु...

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