जो खो गई हैं कही, मैं वो फिरसे चाहती हु
माना मिलना मुश्किल है पर मैं वही चाहती हु
यकीन मान या ना मान अखरता बहुत है मुझे
जब जब याद करती हु फिर वही जीना चाहती हु
ना जाने क्या हुआ क्यू ये दरारे आ गई
जानती हु एहसास तुझे भी है ये जो बीच मे बात आ गई
इन्हे हटाकर इन्हे भरकर फिर पहले जैसा ही चाहती हु
जानती हु बदला बहुत कुछ है बीते दिनों तुझमे भी मुझमें भी
जानती हु कभी नही चाहती थीं ये तू भी और मैं भी,
जानती हु मुश्किल बहुत है फिर वही पहुंचना,
पर फिरभी मैं कोशिश करना चाहती हु...
माना बदलाव ही है जिंदगी का दूसरा नाम
पर ये बदलाव मैं कभी अपना ही नही पाई और ना कभी अपनाना चाहती हु,
सुन... तु बन जा ना पहले की तरह,
मैं बहुत याद करती हु पहले वाली तुझे और पहले वाली खुदको भी,
तु बन जा पहले की तरह मैं भी पहले जैसी बनना चाहती हु
कोई खास नही था तेरे सिवा मेरा और ना मेरे सिवा तेरा,
मैं फिर पहले की तरह तुझे खास करना चाहती हु खुद खास होना चाहती हु...
जानती हु खास तो मैं आज भी हु तेरे लिए और तु भी है मेरे लिए,
पर वो पहले सी बात नही है,
मैं बात ही तो वही पहले सी चाहती हु,
तुझे पहले सी चाहती हु, खुदको पहले सी चाहती हु,
जो भी हमारे बीच है वो सब पहले सा चाहती हु...
जो खो गई है कही... तु मैं और हमारी दोस्ती...
वही मैं फिरसे चाहती हु...
तु हो जा ना पहले की तरह चल मैं भी पहले सी हो जाती हु...
-