Ab hi  
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I am not a writer.
I just write to make myself feel good.
Joined 23 March 2020


I am not a writer.
I just write to make myself feel good.
Joined 23 March 2020
10 APR 2023 AT 1:16

समझदारों की इस दुनिया में,
मैं कौन समझदार,
समजदारी तो आप में है,
जो दिन को रात,
और रात को दिन समझतें,
हम तो बस वह समझते जो हक़ीक़त होतें,
पर Abhi को वह नासमझ है समझतें॥

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4 MAR 2023 AT 0:10

ध्रुव तारा है अकेला,
पर है सबसे निराला ,
राह अगर कोई भटके,
उन्हें राह में लाए चटके।

अगर कुछ हो प्रश्न,
तो इनसे मिलता उत्तर,
अगर कभी खोना,
तो इनसे है पूछना।

है अपने स्थान में अडिग,
इसीलिए अपने विचारों में क़ायम रहना,
है दिखते छोटे,
इसीलिए ख़ुद को बड़ा ना समझना।

ख़ुद में ख़ामियों ना ढूँढ,
क्या पता तू ख़ुद एक ध्रुव है,
ख़ुद पर झाक कर तो देख,
क्या पता तुझ में वह उत्तर है।

इसीलिए Abhi ने बोला
है अकेला पर है निराला ॥

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22 FEB 2023 AT 22:40

Privacy is a myth in this digitalised world.

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22 FEB 2023 AT 22:38

हाँ मैं नहीं परखता अपनी आँखों से,
हाँ मैं नहीं परखता अपनी आँखों से,
ना ही परखता आपकी बातों से,
ना ही परखता आपकी बातों से,
परखने वाला मैं जौहरी कौन,
परखने वाला मैं जौहरी कौन,
यह तो आपके हरकतें हैं जो Abhi को हमेशा आईना दिखला जाते ॥

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6 JAN 2023 AT 22:51

मेरे ख़्वाब,
तुम्हारे ख़्वाब,
हम सबके ख़्वाब,
होते कुछ ख़ास,
होते कुछ अनोखे,
होते कुछ नायाब,
ख़ास,अनोखे या हो नायाब होते सब ही हैं क़ीमती,
इसीलिए हर ख़्वाब होते हैं क़ीमती,
इसीलिए हर ख़्वाब की चुकानी पड़ती है क़ीमत ।

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20 AUG 2022 AT 0:09

दिलों में ख़्वाब
आँखों में चमक
हम रोज़ है निकलते
आगे मोड़ आते ही
ख़्वाब है बदलते
चमक भी कम और ज़्यादा हो जाते ।

ज़िंदगी जीने की चीज़ नहीं
और नाहीं खतम करने की
बल्कि ज़िंदगी तो महसूस की जानी चाहिए
महसूस जो रोज़ ख़्वाब और चमक में बदलाव लाए
महसूस हो दर्द का, मायूसी का, ख़ुशी का,
बस खुद को थकने नहीं देना
बस चलना और महसूस करना ।

फिर जब कभी थक जाओ
तो रुक कर रो-हंस पड़ना
और खुद को महसूस करना
और खुद को महसूस करना॥

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19 MAR 2022 AT 23:33

तुमसे दूर जो हुए,
खुद को खो बैठे,
तुम्हारी बातों से हम है बस्ते,
हम में सिर्फ़ तुम हो बस्ते,
लौट आओ तुम
तुम्हारी ख़ुशी में ही खुश हम है रेहते ।

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22 JAN 2022 AT 23:36

ना जाने किस उल्फ़त में हैं यह विचारें,
उनका किसी और के साथ चले जाना था दिक़्क़त,
या खुद को पैरों में खड़ा ना कर पाना था दिक़्क़त,
या शायद जल्दी कामयाबी पाने के चक्कर में खुद को खो गया,
दिया हैं मैंने शत प्रतिशत अपनी मेहनत पर,
शायद मंज़ूर ए ख़ुदा है कुछ अलग कर,
यह अलग ही रोज़ कुछ नया लाता हैं,
और यह नया ही विचारों के उल्फ़त से लड़ बेमिसाल बना जाता है॥

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16 JAN 2022 AT 20:01

इन करोड़ों की आबादी में,
खोया तो नहीं मैं,
ना ही खुद को पाया मैं,
ख़ुदा की दी राह में,
चल रहा मैं,
लौटूँगा मैं,
खुद चलकर मैं,
कामयाब हूँगा मैं,
कामयाब हूँगा मैं ॥

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16 JAN 2022 AT 19:28

जब नज़रें मिली तो ज़लज़ला आ गयी,
जब हाथ टकरायी तो बिजली कड़क उठी,
जब उन्होंने मुस्कुरा कर देखा तो झमाझम बारिश गिर पड़ी,
मसला तो तब हुआ
जब दिल मिलने की बात आयी -
तो मैं होश में आ गया ।

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