गीतों में तुम्हें गा रहा हूँ सुन रही हो ना ?
कब से तुम्हें बुला रहा हूँ सुन रही हो ना ?
तो क्या हुआ कि तुम हमारे हो नहीं सके,
हर दम तुम्हें निभा रहा हूँ सुन रही हो ना ?
कैसी ये अदावत कि मोहब्बत ही मर गई,
मैं चीखता ही जा रहा हूँ सुन रही हो ना ....-
मैं खुद अपनी 'तलाश' में हूँ ||😍
दिल चाहता तो है उसे गाली देना
मगर मैं गणित का विद्यार्थी हूँ ,
मैंने सीखा है "X" का मान रखना चाहिए।-
इस दशक के बावजूद,
मोहब्बत बाकी है, ख़यालात बाकी हैं,
उसकी यादों के आँचल में दिल तो बाकी है।
बिछड़े हुए हमें वो आज भी याद आती है,
कभी-कभी रातों में उसकी आहट सुनाई देती है।
मोहब्बत ज़रा अजनबी हो गई है,
पर इश्क़ उसका अब भी बेसब्री से रुका है।
कभी-कभी अंधेरे में, उसकी यादों की छाँव होती है,
जैसे उसकी हंसी बादलों की बारिश होती है।
यादों की वादियों में घूमते-घूमते,
मोहब्बत के फूल खिलाए हैं हमने।
ज़मीं पे खड़े इंसानों की भीड़ में,
दिल तो सिर्फ़ उसी का घबराता है।
बिछड़े हुए एक दशक हो गया है यारों,
पर मोहब्बत अब भी बाकी है इंतज़ार में।-
अगर वो पूछ लें हम से तुम्हें किस बात का ग़म है
तो फिर किस बात का ग़म है अगर वो पूछ लें हम से-
जिन रास्तों पर तेरे साथ चला हुं कई वर्ष
उन रास्तों पर अकेले चलता हुं
अब मुझे वो रास्ते अच्छे नहीं लगते
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गणित पढ़ते पढ़ते तो बरसो गुजर गए..
तेरी आंखों में जो देखा तो पता चला सब शून्य है-
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
~मिर्ज़ा ग़ालिब®-