आयुषी मिश्रा   (आयुषी✍️)
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मुस्कुराहट के साज की आगाज हूं मैं,
कलम के बंद पन्नो पर जुबां की राज हूं..!
#आयुषी
Joined 1 August 2020


मुस्कुराहट के साज की आगाज हूं मैं,
कलम के बंद पन्नो पर जुबां की राज हूं..!
#आयुषी
Joined 1 August 2020

बारिश की बूंदें गिरते हुए भी मुस्कुराती हैं,
याद रखिए हर प्रतिकूल परिस्थिति जीना सिखाती है..!

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हुनर को आजमाते हुए जीते है,
चलो कुछ पल मुस्कुराते हुए जीते जी है...!

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**सफ़र**

लफ्जों पर आकर बात उलझ रही है,
कुछ शिकस्त है जो मेरे साथ चल रही है,
मैं डर कर भाग आई तो भी मेरा साया डराएगा
इस हंसते से चेहरे के पीछे दर्द की सौगात चल रही है...!


सितमगर से ख्वाहिश है की थोड़ा सब्र कर आए,
अभी कुछ दर्द उभरे है जिनके खनकने की रात चल रही है,
मैं चमकूंगी फिर से उन सितारों जैसे,
अभी हालतों से उभरने की फिराक चल रही है.!

राहें बंद हो रही है और ख्वाबों के पर निकल रहे है,
किस्मत को कोशिशों से हार मिल रही है;
ज़िंदगी के सफर में कुछ उलझे मोड़ भी है,
और मेरी मुस्कुराहटें उन उलझनों के साथ चल रही है..!

लफ्जों पर आकर बात उलझ रही है,
कुछ शिकस्त है जो मेरे साथ चल रही है..!!!!!!!

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रात की करवट पर चोट करके,
कोई जाग रहा ख्वाबों को ओट(परदा)करके..!

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हंसते चेहरे भी अंदर से सहम जाते है,
जब खुद की नजरों में खुद को विवश पाते है..!

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कभी कभी सब झूठ लगता है,
वो लोग भी जो दिल के बहुत करीब होते है..!

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लहरों के लौट जाने पर बूंदें वजूद-ए-राख हो जाती है..!



(लहर अर्थात् कीर्ति/ख्याति/समृद्धि
बूंदे अर्थात् अस्तित्व)

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जीने की एक विफलता ये भी है कि,आपको अनवरत जीतना ही पड़ेगा..!

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लफ्जों ने सब गंवा दिया,
अंत में खामोशियां हिस्से आयी..!

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लम्हे लम्हे में जीना मुकम्मल है,
जीतने वाले यूंही मरने की ख्वाहिश नही करते..!!

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