बारिश की बूंदें गिरते हुए भी मुस्कुराती हैं,
याद रखिए हर प्रतिकूल परिस्थिति जीना सिखाती है..!-
हुनर को आजमाते हुए जीते है,
चलो कुछ पल मुस्कुराते हुए जीते जी है...!-
**सफ़र**
लफ्जों पर आकर बात उलझ रही है,
कुछ शिकस्त है जो मेरे साथ चल रही है,
मैं डर कर भाग आई तो भी मेरा साया डराएगा
इस हंसते से चेहरे के पीछे दर्द की सौगात चल रही है...!
सितमगर से ख्वाहिश है की थोड़ा सब्र कर आए,
अभी कुछ दर्द उभरे है जिनके खनकने की रात चल रही है,
मैं चमकूंगी फिर से उन सितारों जैसे,
अभी हालतों से उभरने की फिराक चल रही है.!
राहें बंद हो रही है और ख्वाबों के पर निकल रहे है,
किस्मत को कोशिशों से हार मिल रही है;
ज़िंदगी के सफर में कुछ उलझे मोड़ भी है,
और मेरी मुस्कुराहटें उन उलझनों के साथ चल रही है..!
लफ्जों पर आकर बात उलझ रही है,
कुछ शिकस्त है जो मेरे साथ चल रही है..!!!!!!!-
हंसते चेहरे भी अंदर से सहम जाते है,
जब खुद की नजरों में खुद को विवश पाते है..!-
लहरों के लौट जाने पर बूंदें वजूद-ए-राख हो जाती है..!
(लहर अर्थात् कीर्ति/ख्याति/समृद्धि
बूंदे अर्थात् अस्तित्व)-
लम्हे लम्हे में जीना मुकम्मल है,
जीतने वाले यूंही मरने की ख्वाहिश नही करते..!!-