Aayushi Prasad   (© Aayushi)
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Joined 2 August 2018


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Joined 2 August 2018
16 DEC 2024 AT 23:15

क्या हम तुम ऐसे हीं मिलते-बिछड़ते रहेंगे

जैसे

दिसंबर और जनवरी



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14 DEC 2024 AT 2:47

ये जुल्फ घनेरे, ये काले अंधेरे
ये पलकें ये दर्पण, जैसे आँखों पे पहरे
ये नजरें शरारती, ये काजल के घेरे
ये होठों पे लाली, इनपे इतराते ये चेहरे


ये हाथों पे बाली, खनकते ये तेरे
ये बाहें, इनमें जन्नत, ये धड़कते बसेरे
ये ख्वाइश, हर चाहत, सब इनपे ही ठहरे
ये श्रृंगार, ये अदा, ये सब उल्फ़त हैं मेरे

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3 DEC 2024 AT 4:14

कुछ धागे सिर्फ़ रफ़ू करने के लिए होते हैं,
पुरी कमीज़ सिलने के लिए नहीं।


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1 DEC 2024 AT 13:41

Strong friendship aren't built on constant agreements. They're held together by the efforts friends make to mend what's broken.
Every friendship has moments of tension or misunderstanding. What keeps that friendship alive is the ability for someone to say.
"Hey, I messed up!" Or
"Can we talk about this."
A strong friendship isn't perfect. It's just one where people keep showing up.

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2 OCT 2024 AT 14:26

कुछ गेहरा सा लिखना था,
इश्क से ज़्यादा क्या लिखुं

कुछ ठेहरा सा लिखना था,
दर्द से ज़्यादा क्या लिखुं

कुछ समंदर सा लिखना था,
तेरी आंखों से ज़्यादा क्या लिखुं

अब जिंदगी लिखनी है,
तो फिर तुमसे ज़्यादा क्या लिखुं

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28 MAY 2024 AT 0:03

तुम छोड़ो भी कुछ केहने दो,
मैं केहता हुं मुझे केहने दो
एक तरफा इश्क़ ही बेहतर है,
मैं करता हुं
तुम रहने दो



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27 MAY 2024 AT 23:57

के न वो ख़्वाब पुरा हुआ
न हकीकत में तेरा मिलना हुआ
हर वो चीज़ अधुरी रह गई
बस तेरा बिछड़ना मुकम्मल हुआ

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27 MAY 2024 AT 23:54

गम बहुत बढ़ जाए तो खुलासा मत होने देना
मुस्कुरा देना पर तमाशा न होने देना



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27 MAY 2024 AT 1:32

आईने में पहले एक चेहरा हुआ करता था मैं,
ये मुझे क्या हो गया है
क्या हुआ करता था मैं,
प्यास कि सुरत खड़ा हूं आज सबके सामने
कौन मानेगा कभी दरिया हुआ करता था मैं

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9 MAY 2024 AT 18:17

उस धुंध भरी शहर कि तरह होते हैं
मुझ जैसे लोग
जिसमें आफताब लड़ रहा होता है
अपनी पहचान के लिए

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