बुरा नहीं वो मीर न कहो बेवफा उसे,
क्या करे शायद न मालूम हो वफ़ा उसे,
छोड़ो भी अब ये गिले शिकवे..जब उनको हमारी फिकर नहीं,
न नाम लेते है हम अब उसका .. हाल ए जिंदगी में उसका कोई जिकर नहीं,
तुम क्यों नहीं समझते इक छोटी सी बात को...
जाया करते नहीं जज्बातों को वहां... जहां पे तुम्हारी बातों की कोई कदर नहीं।-
हमें छोड़ने से पहले ही छोड़ा जा चुका था,
राहों को पहले ही मोड़ा जा चुका था,
हम इस बात से अभी रुबरु हुए मीर,
ये रिश्ता तो पहले ही तोड़ा जा चुका था।
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जो निभा नहीं सकते न जाने लोग क्यों वो वादे से जाते हैं,
खुद तो इक रोज बिछड़ जाते हैं पर उम्र भर के लिए यादें दे जाते हैं।-
तुम जो गए मेरे चेहरे का नूर ले गए,
मेरी जो ख़ाहिसे तमाम थी उनको मुझसे दूर ले गए,
न जान सका मै खता मेरी...जल्दबाजी इतनी जैसे सिर से किसी के सुरूर ले गए,
इक तुम्ही तो थे जिस पर इतराते थे... नाज था हमको
तुम हमसे हमारा गुरूर ले गए-
सुख,चैन,सुकून,नींद,ख्वाब सब न्योछावर तुम पे...अब ईमान दे दूं क्या,
बस जेहन में ये सांसे बची है ...क्या चाहती हो अब जान दे दूं क्या...?-
शायद लौट आओ तुम इक दिन ...मैं आज भी तुम्हारे इंतजार में हूं,
बस इक इसी आस में मन्नत का धागा लिए मजार में हूं।-
बातों में अब वो बात नहीं है,
वो जज्बात नहीं है,
वो रात नहीं है,
वो मुलाकात नहीं है,
वो हालात नहीं है,
वो ख्यालात नहीं है,
तेरा साथ नहीं है,
हाथों में तेरा हाथ नहीं है,
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कुछ न रहा अब हम दोनों के दरमियान,
अब ये फैसला मुकद्दर का हो गया है,
कैसे खाये भला वो तरस मेरे रोने बिलखने पर...
वो शख्स अब इंसान न रहा पत्थर का हो गया है।-
ये ढलती शाम तुम्हारी याद दिलाती है,
ये शर्ट की खुशबू तुम्हारे होने का एहसास करवाती है,
ये घड़ी तुम्हारे साथ बीते पल को बताती है,
ये तनहाई भरी राते मुझे तुम्हारे पास ले जाती हैं,
ये कुछ तस्वीरें है जो तुम्हे मेरा बताती हैं,
ये चंद चीजे ही हैं जो अब मेरी ज़िन्दगी चलाती हैं।-