मुलाकात मुक्कमल की आख़िर, जुदाई से इनकार कर बैठा...
हुस्न की परवाह नहीं मुझे, तेरी सादगी से प्यार कर बैठा...
वो छुपाते रहे हर बात पराया समझके हमको ,
सीधा-साधा लड़का मैं, उसके ना बोलने पे ही मर बैठा ।।
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Kuch tez dhadhka h dil aaj ,
Fir se saanso ki shuruwat Hui h...
Lgta h kaafi arse baat ,
Aaj fir unse baat Hui h...-
चाहत को मेरी वो अपनाए तो सही ।
कभी फुर्सत में पास अपने बुलाए तो सही ।
मैं खुद माफ़ करदूंगा उसकी सारी गलतियां ,
कभी पास मेरे आकर वो मुस्कुराए तो सही ।।-
Dear fellow writers ,
How does it feel to be God's favourite?
Not everyone has this superpower of turning their emotions into words 😊😇-
Dekhta roj hu tujhe , par ab baatein nhi hoti ...
Aisi kya khata hui humse , jo ab vo phle wali mulakate nhi hoti ...-
मेरे होंठों पर रख दें होंठ तेरे, तेरा जिस्म मेरे नाम करदे,
कभी खत्म न हो ये रात , तु कुछ ऐसा इंतजाम करदे,
तेरी रूह में बस जाऊं फांसले अब न रहें
मिल कुछ इस तरह मुझसे, सारे जहां में बदनाम करदे।।-
वो मिली भी तो हरिद्वार की बस में ,
अब हम उसको देखते या पहाड़ों को ....-
तेरा इश्क superior border था, छोटा था पर जरूरी था ।
मैं ठहरा lateral angle सा, झुकना मेरी मजबूरी था ।।
तुम acromium सी ऊंची थी , मैं inferior angle सा शांत प्रिये ।
मैं छिप गया rhomboideus minor जैसे , मुझको चाहिए एकांत प्रिये ।।-
मैं रोया नहीं था सालों से , तेरे इश्क में था बेहाल प्रिये।
आज नफ़रत तेरे अस्तित्व से है, रो-रो कर आंखें लाल प्रिये ।।
तुम spinous process जैसी हो , मुझको करती divide रही ।
मैं anterior surface सा अडिग रहा , मेरी मेहनत मेरी guide रही ।।-