मैं अब नेचर के बारे में चाह कर भी लिख नहीं पा रहा
लिखूं भी तो कैसे लिखूं जब झूठ लिखना सीखा ही नहीं अबतक
वैसे सच कहूं तो मैं तो न लेखक हूं न ही कोई कवि
हां जीवन के कुछ ख्वाब , कुछ बातें , कुछ इरादे ,
कुछ सीख लिखता रहता हूं अलग अलग जगह
क्योंकि हिंदी और अंग्रेजी सीखी ही है बारवीं तक पढ़ते पढ़ते
अब इंजीनियरिंग में एडमिशन ले रहा हूं
पर सच कहता हूं अब लिख नहीं पा रहा हूं
सोच नहीं पा रहा हूं , कर नहीं पा रहा हूं
मां प्रकृति के बारे में ,,,
हां थोड़ा दूसरे कामों पर ज्यादा ध्यान चला गया है
पर सोचता हूं जीवन को समझना भी तो ज़रूरी ही है न !!
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