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"होगा कोई कभी ऐसा नहीं!"
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Swipe>>— % &अंधेरी रातों को छुपकर,
उस चाँद तले कुछ देर रुक कर
ना करूँ मैं किसी का इंतज़ार,
जी लूँ कुछ पल खुद के लिए इस बार। — % &होगा कोई कभी ऐसा नहीं,
जान ले जो मुझको यूँहीं
है मुश्किल ये समझा पाना,
आखिर क्या है चेहरे पे मुस्कुराहट
और दिल में गम का फ़साना।
— % &कर दिया रिहा पंछी को उस गगन में
अंजाने भीड़ और खुले पवन में,
होगा ग़र किस्मत में वही
आएगा लौटकर इन फिज़ाओं में यहीं। — % &
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