कोई तो हो...
जो निहारे मुझे भी प्यार भरी नज़रों से,
और बतलाए मुझे कि "मैं भी खूबसूरत हूँ"।
जो दिखाये दिलचस्पी मेरी उन बोरिंग सी बातों को सुनने में,
और दिलाये एहसास की "ये बातें उतनी भी बोरिंग नहीं"।
जिसके गले लग कर रो सकूँ जी भर के,
और कह सकूँ "हाँ मैं ठीक नहीं हूँ"।
जो करे कोशिश मेरे उन ज़ख़्मो की वजह जानने की,
और फिर कहे आहिस्ते से "अब मैं हूँ ना"।
-