Aastha C.   (Aas)
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I’m not perfect but stories are always better with a touch of imperfection..
Joined 15 February 2020


I’m not perfect but stories are always better with a touch of imperfection..
Joined 15 February 2020
4 JAN 2022 AT 17:53

मेहनत से डरते हैं और शौहरत भी चाहते हैं लोग
किस्मतों पर यकीं सहीं और किस्मत को ही कोसते हैं लोग

स्वयं को बदलते नहीं, उम्मीद औरो से रखते हैं लोग
बुरी अपनी आदतों को मज़बूरी का नाम दे ढकते हैं लोग

दोस्त भी हैं और दुश्मन भी समझते हैं लोग
प्यार बाटते नहीं प्यार को फिर भीं तरसते हैं लोग

ठोकर भी खाते हैं और संभलना भी जानते हैं लोग
कुछ दूरी तक हाथ थामकर बिछड़ भी जाते हैं लोग

तन्हाई पसंद करते फिर भी हमसफ़र साथ चाहते हैं लोग
बेवफ़ाई का नाम दे रिश्तें भी तोड़ जाते हैं लोग

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29 DEC 2021 AT 19:27

ज़िंदगी में गर हैं परेशानियाँ-व्-आफ़तें,
साथ लड़ने को एक रहगुज़र चाहिए..
न नाम चाहिए न शोहरत चाहिए,
सुकून भरा मंज़र हो और रहने को बस एक घर चाहिए...

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24 DEC 2021 AT 16:28

कोई कहानियों में व्यतीत करता अपने-आप को,
कोई महानता लिख जाता हैं...
सच की नहीं हैं कोई रूप-रेखा,
सच फिर भी दिख जाता हैं...

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20 OCT 2021 AT 22:33

Attachments are giving more pain than one sided love, these days...

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2 SEP 2021 AT 20:10

हर किसी को एक चोट ज़रूरी हैं जीवन में
लापरवाह ये दिल कहाँ मानता हैं
बातों को, रिवायतों को, सियाही से लिपटी ज़िंदगी की सच्चाईयों को...

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19 AUG 2021 AT 15:18

हर नज़र में दफ़न हैं कई राज़, कहीं निग़ाहें भी छेड़ती साज़ हैं..
ज़िंदगी जीने का यहाँ, सबका, अलग ही एक अंदाज़ हैं...

हैं कहीं चहरे पर आसूँ, कहीं मुस्कुराहट हैं..
पोशीदा हैं लोग यहाँ, पर, सलिका बड़ा खुशमिज़ाज़ हैं...

हैं शोर बहुत, और ख़ामोशी भी ख़ुशबयान हैं..
ज़िंदगी जीने को यहाँ, सन्नाटे पर भारी, कोई तो आवाज़ हैं..!

हैं खौफ उड़ने का, सो, चाहतें भी आसमान पाने की..
मुख़्तलिफ़ एक दूसरे से, पर बनना सबको ही परवाज़ हैं...

हैं तन्हाई हर दिशा, कहीं मयस्सर एक आस हैं..
ज़िंदगी मुश्त-ए-ख़ाक हैं, साथ नहीं गर हमराज़ हैं...!

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13 JUN 2021 AT 11:21

ज़माने से दूर मैं अब, सच के पास हूँ
ज़हन में बैठे कुछ, बेजवाब सवालों के साथ हूँ...

न दिखता सच हूँ, या ज़ाहिर एक जूठ हूँ
मैं इस तंगदिल समाज के नियमों से पार हूँ...

न ख़ुशगवार हूँ, न ख़राब हूँ
ओझल होती भावनाओँ को वापस खींचता, पारदर्शी द्वार हूँ...

रूह में सिमटता जैसे एक ख़याल हूँ,
मैं अपने आप से, इस समाज से, इस देश से परे, अब सिर्फ इंसानियत का शुक्रगुज़ार हूँ...

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4 APR 2021 AT 11:54

The duration of "forever" nowadays is decreasing in a way,
I feel like, it will be extinct soon !!!

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21 MAR 2021 AT 18:44

Tough !
No, its beyond that...

It's nearly impossible to make our grandparents and often our parents realize that,
"A happy marriage" &
"Sustaining relations with society, precisely I could say the so called Samaj" isn't the mere goal of life, not atleast for current as well as upcoming generations.
Life is much much more beyond that.
And it's high time to make them understand this.

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25 FEB 2021 AT 20:21

ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

न तुम्हे वक़्त होगा हमसे मिलने का
न हमे होगी फुर्सत, तुमसे बात करने की,
ये जो ज़िंदगी हैं, बस अभी हैं, ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

वह पहला दिन पहली सी बातें, यारो के याराने
बिछड़े हुए दोस्त और उनके संग बिताए
खट्टे मीठे लम्हे, दिल में बस जाने हैं
ये जो ज़िंदगी हैं, बस अभी हैं, ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

देखा था जिसे कभी अज़नबी सा हमने
जिसने न पायी कोई कमी सी हममे,
लम्हे वो बहुत खास बन जाने हैं
ये जो ज़िंदगी हैं, बस अभी हैं, ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

हैं अभी बाकी कुछ दिन, कुछ दिन का हैं साथ
गीले शिक़वे सारे भूलाकर, रह ले हम पास
बिछड़ते वक़्त तो हर किसी की आँख में, अश्रु भर आने हैं
ये जो ज़िंदगी हैं बस अभी हैं, ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

हैं ये पहली सीढ़ी, पहला हैं ये मुक़ाम
गिरती-चढ़ती ज़िंदगी में, आने हैं और कई सलाम
ये मुस्कानें और साथ बिताएँ लम्हात, तुममें घर कर जाने हैं
ये जो ज़िंदगी हैं बस अभी हैं, ये पल तो एक रोज़ बीत जाने हैं...

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