बेइंतहा बेचैनी है उसके अंदर
लेकिन बाहर से खामोश है वो
अंतर्मन का ये द्वंद्व तूफान मार रहा है,
पर फिर भी बाहरी रूप तूफान सह रहा है
न जाने किस वेदना को लिए ये बेचैनी है
कभी झूठी मुस्कान लिए तो, कभी एकांत खोज रही है वो
वक्त के आगे खामोश बन, कुछ तो अज़ीज़ ढूंढ रही है वो-
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वो इतनी खूबियों के बाद भी कुछ अपनों की सराहना के लिए रोती है
जमाने भर में समझने वालों ने समझा है उसे
कुछ अजनबी तो कुछ साथियों ने देखा है उसे
बस अपनों ने अनदेखा किया है उसे
इसी उम्मीद में वो रहती है, कभी उसे भी समझा जाएगा
कभी उसकी खूबियों को भी अपनों की महफिल में बताया जाएगा।-
दूरियों के डर, टूटने की फिक्र को कायदों में बाधा जाता है
पर जहां ना डर हो ना फिक्र हो वहां कायदों के बढ़ने से बस दूरियां ही बढ़ती है-
वो प्यार जताता है
फ़िक्र बताता है
उसके होने की हर वजह गिनाता है
बस एक उससे मिलने से घबराता है-
सारी सीमाओं से परे है उसका प्यार
ना कोई बंधन है इस प्यार में,
ना बंधे रहने की कोई चाहत है
वो तो बस प्यार है उसका, बेइंतहा प्यार है उसका
न एक - दूसरे को पाने की तड़प है उसमें
न ही दूर जाने का डर है उसमें
उसका प्यार तो एक दूसरे में समाया हुआ अटूट बंधन है
जो पाक है, पूजनीय है और प्रेममयी है
ये प्यार है उसका जो अकल्पनीय है
इस जमाने में ऐसा प्रेमी का मिल जाना ही अविश्वसनीय है-
वो डरी , सहमी सी आंखें हजारों सवाल कर रही थी
जिंदगी स्वाभिमान से जी जिसने
बुढ़ापे की काया में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी।-
काबिलियत को कातिलाना कर गए ये लोग,
कई ज़ुबानों ने मिलकर एक उभरता भविष्य दबा डाला
वो भी बस सामाजिक होड़ और अज्ञानता से भरे ढकोसलें की दुनियादारी में घुसकर
कुछ सामाजिक लोगों ने एक काबिलियत शख्स को मार डाला।
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नीले आसमान में नारंगी छटा बिखर गई है
लगता है सूरज के जाने की अदा निखर गई है!-
कुछ थम कर चलना पर चलना जरूर
रास्तों में थकना भी पर चलना जरूर
पहचान है राही तेरी, राहों पर चलना है काम तेरा-
आईना दिखा तो दिया जिंदगी ने,
पर एक मुस्कान ने फिर दर्द छिपा दिया
सूरत मेरी दिखाकर मुस्कान झूठी दिखा गया
आंखों में कई सवाल छोड़कर,
आईना फिर से मुस्कुराना सिखा गया
झूठी ही सही पर जमाने से दर्द छिपाना बता गया।-