Aasim Beg   (आसिम बेग 'मिर्ज़ा')
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عاصم بیگ "مرزا'
Joined 16 March 2018


عاصم بیگ "مرزا'
Joined 16 March 2018
26 JAN AT 7:42

दुनिया में हैं देश कई पर भारत देश महान है
इस ख़ूबी का एक ही कारण अपना संविधान है।

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31 DEC 2023 AT 1:46

جب عقیدہ درست نہ ہو تو نفس گمراہی کا نقاب اوڑھ کر انسان کو گناہ میں مبتلا کر دیتا ہے اور جب عقیدہ درست ہو تو وہی نفس انسان کی آنکھوں میں آنکھیں ڈالکر اسے گناہ کرنے کے لیے مجبور کرتا ہے۔ یقینا انسان بڑی مشکل میں ہے سوائے اس کے جس پر اللہ نے رحم کیا۔

- عاصم بیگ 'مرزا'

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31 DEC 2023 AT 1:21

जब अक़ीदा सही ना हो तो नफ़्स, गुमराही का नक़ाब ओढ़कर गुनाह करवाता है और जब अक़ीदा सही हो तो फ़िर यही नफ़्स, इंसान की आँखों में आँखें डालकर गुनाह करवाता है। बेशक इंसान घाटे में है सिवाए उसके जिसपर अल्लाह रहम करे।

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24 DEC 2023 AT 17:02

ہر مومن کے لیے حضرت محمد ﷺ کی
شفاعت/سفارش کی مثال, دنیاوی امتحان میں حاصل کردہ 'گریس نمبر' کی طرح ہے۔ جہاں ایک اچھا طالب علم اپنا امتحان 'گریس نمبر' کی ذمہ داری پر نہیں چھوڑتا، بلکہ امتحان پاس کرنے کے لیے سخت محنت کرتا ہے، یہاں تک کہ اگر اس کی محنت کے باوجود وہ کچھ نمبروں سے فیل ہو جائے، تب یہ 'گریس نمبر' بطور اس کی محنت کا صلہ/ انعام اسے ناکامی سے بچانے کے لیے دیے جاتے ہیں۔

- عاصم بیگ 'مرزا'

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24 DEC 2023 AT 16:40

हर मोमिन के लिये हज़रत मुहम्मद ﷺ
की शफ़ाअत/सिफ़ारिश की मिसाल, दुनियावी इम्तेहान में मिलने वाले 'ग्रेस नंबर' की तरह है। जहाँ एक अच्छा स्टूडेंट (तालिब) अपना इम्तेहान 'ग्रेस नंबर' के भरोसे पर नहीं छोड़ता बल्कि इम्तेहान में पास होने के लिये मेहनत करता है फ़िर भी अगर उसकी मेहनत के बावजूद वो कुछ नंबर से फ़ेल हो रहा होता है तब ये 'ग्रेस नंबर' बतौर उसकी मेहनत के इनआम के तौर पर उसे फ़ेल होने से बचाने के लिये दिये जाते हैं।

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20 JUN 2022 AT 11:30

जिसकी आंखों में हमारी तरक़्क़ी का ख़्वाब होता है
जिसके सिर्फ़ होने से ही हमारा रुआब होता है
अहले नज़र उसे आसमान जैसा कहते हैं
वो शख़्स कोई और नहीं हमारा बाप होता है।

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18 MAR 2022 AT 22:15

व्यक्तिगत नफ़रत सहन की जा सकती है पर सामूहिक व विचारधारा में बसी नफ़रत नहीं।

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18 SEP 2021 AT 14:22

If your life is rough
you have to be tough

- Aasim Beg 'Mirza'

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14 SEP 2021 AT 10:28

हर हिन्दी की शान है हिन्दी
भारत की पहचान है हिन्दी
जिस भाषा के कारण मिलता
'मिर्ज़ा' को सम्मान है हिन्दी।

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21 APR 2021 AT 17:46

ईमां कहते हैं किसे ये भी कभी सोचा है
या सिर्फ़ गोश्त चौपायों का तुमने नोचा है।
शक होता है तेरे अहदे ईमान पर 'मिर्ज़ा'
किया है ग़ुस्ल या बदन को सिर्फ़ पोंछा है।।

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