जिंदगी का ये सफर अब नाकाम होने को है,
तुम्हारा और मेरा सफर अब तमाम होने को है।
सुना है वो हमें याद भी नहीं करते अब,
जो कहते थे कि तुम्हारी याद में सुबह से शाम होने को है।
हम कहते रहे जमाने से की कुछ मुद्दत दीजिए,
की बाकी जो भी जान है वो परवाज होने को है।
हुआ कुछ नहीं इस जाम से ए साकी,
की जाम भी अब तमाम होने को है।
मोहब्बत वफ़ादारी एतमाद जमाने में,
अब यूंही बदनाम होने को है।-
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From:- Sitamarhi Bihar