प्रेम क्या है?
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इसको तुम दावत-ए-मोहब्बत बोलते हो ?
लब भी खामोश हैं तुम्हारे
और न आँखों से कुछ बोलते हो ❤️-
उनका रूठना, सताना, तड़पाना भी देखा है
उनका फिर लौट के आना भी देखा है
देखा है हमने उनके हर एक सितम को
फिर हर बार अपने दिल का पिघल जाना भी देखा है-
चढ़ा दो मुझे सूली पर मैं मुजरिम हूँ ज़माने का,
मोहब्बत में किसी की मैंने जुर्म-ए-वफ़ा कई बार किया है-
मुलाकातें बढ़ीं, तारीफों का सिसिला चल रहा था,
किसे पता था, ज़माने को आशिक़ एक और दिलजला मिल रहा था।-
शब-ए-फुरक़त का ये फसाना देखो,
उनका रूठना मेरा मनाना देखो,
के देखो मेरे इश्क़ की इन्तेहाँ यारों,
उनका जाना मेरा गिड़गिड़ाना देखो।-
एक दिन लिखेंगे दासताँ
अभी तो किस्सों का ताना बाना शुरू हुआ है।-
देखा है मैंने लोगों को, उन्हें मेरी आवाज से मोहब्बत हो जाती है,
वो देखेंगे सूरत मेरी तो यकीनन नफरत करेंगे
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इश्क़ में खामोशी जँचती नहीं, लब खामोश हो जाएं तो दिल टूट जाया करते हैं।
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She packed the things up
She packed up the emotions
She packed up the feelings
She left and said, "Good Bye"
Not because she didn't love,
But because she had some self respect.-