यूँ तो एक ठिकाना हमारा भी है पर...
तुम्हारे बिना लापता सा महसूस करते है...-
उसी दिन से मैं लिखकर बोलता हूं...
तुमने अपने होंठों से जब छुई थी ये पलकें...
नींद के मुकद्दर में ख़्वाब लौट आए थे...
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आज तक रखे हैं पछतावे की अलमारी में...
एक दो वादे जो दोनों से निभाये ना गए...
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एक सुकून सा मिलता है तुझे सोचने से भी...
फिर कैसे कह दूं मेरा इश्क़ बेवजह सा है....-
वो जो मेरी धड़कन तक ... सुन लेता था...
अब उसे मेरी ... सिसकियां भी सुनाई नहीं देती...-
Me Uske Badal Jane Ka Yakeen Kese Kar lu...
Suna Hai Phool Murjha To Jate Hain... Magar unka Rang Badla Nahi Karta...-
उनकी फ़ितरत है वो दर्द देने की रस्म अदा कर रहे हैं...
हम भी उसूलों के पक्के हैं दर्द सहकर भी वफ़ा कर रहे हैं...-
Rehne Do Ab ,K Tum Bhi Mujhe Padh Na SakoGaye...
Barsaat Main Kaaghaz Ki Tarah Bheeg Gaya Hoon Mai....-
बदलते नहीं जज़्बात मेरे तारीखों की तरह...
बेपनाह इश्क़ करने की ख्वाहिश मुझे आज भी है...-
इक तेरी अनदेखी न बदल पायी चाहत में...
एक ये चाँद है जो हर रोज़ सूरज हो जाता है...-