Aashish tirthani   (Aashish Tirthani)
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I write.❣🌸
Joined 12 December 2017


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Joined 12 December 2017
28 DEC 2021 AT 12:34

इस शोर की खामोशी को गलें से लगा
मुसाफिर वो अकेला भटकता रहा,
मंजिले थी दर्द सी जो दे रही थी सजा
ना मिली मंजिले ना मिला काफिरा,
खुद के मन विचार मे ,उलझा वो इस संसार में
कंधो पर जो रोज था वो बन गया अब एक भोज सा,
इस शोर की खामोशी को गलें से लगा
मुसाफिर वो अकेला भटकता रहा।।

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27 DEC 2021 AT 18:42

इस शोर की खामोशी को गलें से लगा
मुसाफिर वो अकेला भटकता रहा,
मंजिले थी दर्द सी जो दे रही थी सजा
ना मिली मंजिले ना मिला काफिरा,
खुद के मन विचार मैं उलझा वो इस संसार में
कंधो पर जो रोज था वो बन गया अब एक भोज सा,
इस शोर की खामोशी को गलें से लगा
मुसाफिर वो अकेला भटकता रहा।।

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19 APR 2020 AT 22:57

दिखावे के इस संसार की चांदनी फिर एक बार इस काली रात में ढल जाएगी,
और कल फिर एक सुबह सच का सूरज परवान चढ़कर बोलेगा।।

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30 MAR 2020 AT 13:08

हाँ वो याद अब भी अधूरी है,
हाँ वो बात अब भी अधूरी है,
अधूरे हम है , अधूरे तुम हो
हाँ और वो शाम अब भी अधूरी है।।

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26 MAR 2020 AT 12:48

तलाश करी जो मैंने अपनो की
तो मैंने खुद को पा लिया,
एक जहां सच्चा तो
एक झूंटा बसा लिया।।

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25 MAR 2020 AT 14:45

सब दिल में कुछ दर्द लिए चल रहे है
होठों पर 2 पल की हंसी और आंखे नम लिए चल रहे है,

वैसे मैं जानता नहीं हर किसी को खुद से बेहतर
मगर लगता है सब अपनी जिन्दगी के गम सिऐं चल रहे हैं। ।

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5 MAR 2020 AT 21:56

तुम्हारी अनकही बातें भी सुन ने लगा हूँ ,
थोड़ा इश्क़ था बाकी थोड़ा अब करने लगा हूँ ।।

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31 JAN 2020 AT 19:26

PEACE.

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31 JAN 2020 AT 11:28

आज इंसानियत को शर्मिंदा होते हुए देखा है ,
आज मैंने पाकिस्तान को बेढंगा होते हुए देखा है ।

कुछ बातें ऐसी होगी जो अब हमेशा अनकही होगी ,
शहीद किये जो तुमने हमारे जवान
क्या तुम्हारी माँ चैन की नींद सोई होगी ।

एक बच्ची से उसका बाप लिया,
प्यार जो करता था बेहिसाब लिया,
क्या सोचा कभी तुमने की
वो बच्ची कितना रोई होगी ।

पेशावर की बात मैं लाऊं ,
अब 16 दिसम्बर 14 का वो दिन याद दिलाऊ,
तुम्हारे बच्चो की जब मौत थी आई
हर भारतीय की आँख थी भर आई।

तुम्हारे लिए आतंकवाद बढा है ,
हर आतंकवादी तुम्हारा खुदा है,
दर्द उठा अब जीने में
आग उठी हर सीने में ।

आज इंसानियत को शर्मिंदा होते हुए देखा है ,
आज मैंने पाकिस्तान को बेढंगा होते हुए देखा है ।।

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31 JAN 2020 AT 11:24

आज को कल और, कल को परसो,
देखो ना जरा ,वक़्त को बीते हो गए बरसों।

कुछ जरा सा तुम बदले , कुछ तुम्हारा मुकाम बदला,
आज भी सब वहीं है , बस थोड़ा सा अंजाम बदला ।

सूरज की वहीं किरणें है,तो चमक भी वहीं है चाँद की ,
हर एक शाम भी सुहानी, और रात तो वहीं कमाल सी।

एक वक़्त ही तो है, देखो जिसने तुम्हें बनाया है,
कभी गिराया है, तो कभी ऊँचा सा उठाया है ।

वक़्त की कदर करने के लिए, बस यही एक पल काफी है
नहीं तो पछतावा करने के लिए तो पुरी जिन्दगी बाकी है।

आज को कल और, कल को परसो,
देखो ना जरा ,वक़्त को बीते हो गए बरसों। ।

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