रूठा जो मेरा एक गुलाब
कुछ यू्ं रूठ गया ,
कि देख कर हर गुलाब
मुझको रोना आ गया ।।
वो लाल पंखुड़ियोॅं में बसा
उसका प्यारा संसार है
और काॅंटो पर बिछा
मेरे 'साॅरी' का अंबार है ।।
लाया जो था हमने साथ,
एक फूल गुलाब का
सबब वो बन गया है
फ़ासला-ए-जनाब का ।।
माना कर दी है गलतियाॅं कई,
तेरी नज़र में
पर करता था हर हरकत
तेरी सम्मान की कदर में ।।
अब जो रूठा है ये गुलाब
इसे कौन मनाएगा
मुरझाए पड़े इस चेहरे को
अब कौन खिलाएगा ।।
नीति जो है गुलाब की
इसकी शोभा बनाए रखना
अपने इस प्यारे चेहरे पर
मुस्कान बनाए रखना ।।
- Aashish |©inked_emotions