Aashish Mishra   (Aashish |©inked_emotions)
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Joined 18 October 2017


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Joined 18 October 2017
25 MAR AT 22:47

धूप की तपिश देख सूरज देवता को डाँट रहे हो,
अकलमंद होते हुए भी पेड़ काट रहे हो ।

खेत खलिहान का नामोनिशां मिटा दोगे,
विकास के नाम पर सड़के बिछा दोगे।

घर की याद आती है कभी,
या शहर में बसकर गाँव को कोसते हो?


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17 NOV 2024 AT 2:27

पेड़ कट गए, जंगल उजड़ गया,
मुस्कुराने का मंजड़ उजड़ गया।

तारों की चमक में, चाँद छिप गया,
भीड़ में भी खड़े होकर वो अकेला रह गया।

नदियाँ बह कर समंदर में मिल गया,
आँसू भी गिर कर पानी में बदल गया।

आईने का अक्स धुंधला सा हो गया,
वो आज अपनी परछाई से भी डर गया।

परिंदा आसमाँ का धरती पे गिर गया,
जीने की चाहत में कत्ल- ऐ - आम हो गया।

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12 SEP 2024 AT 1:19

चूड़ी, बिंदी, काजल, झुमके और कँगन का श्रृंगार कब दिखाओगी।
शायरी तो लिख दी है बहोत तुम पर,
अब कहो, किस्मत में कब आओगी।

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26 AUG 2024 AT 0:06

ऐतबार नहीं करूँगा फिर से।

सपने देखलूँ भले हीं हजार,
सच होने की ख्वाहिश नहीं करूँगा फिरसे।

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25 JUN 2024 AT 0:48

बिखेड़ दो प्रेम की स्याही
मेरे कोरे काग़ज़ पर।

के अब मैं भी इश्क़ के रंग में
रंगने को तैयार हूँ।

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11 JUN 2024 AT 23:16

इक ख़्वाब देखा था हमने,
तुम हक़ीकत बन कर आ गये।

काँटों भरी इस दुनिया में,
पुष्प की बगिया बसा गये।

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21 APR 2024 AT 16:06

आ सजनी तुझको सँवार दू मैं।
कुछ पल तुझको निहार लूँ मैं।
हाथ थाम लो जो तुम मेरा,
तुझ संग सदियाँ गुजार लूँ मैं।

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23 FEB 2024 AT 16:29

Will be revived soon from the bookmarked page,coz the chapters are yet not over and the climax is still in suspense...

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25 JAN 2024 AT 4:39

बहुत निभाया बहुत समझाया,
पर समझ न पाया अपनों ने।

उसको छोड़ो मुँह तुम मोड़ो,
गैर के साथ तुम रिश्ता जोड़ो
यही कहा बस अपनों ने।

दिल की बात किसे समझाऊँ,
अपनी बात किनसे मनवाउँ,
जब समझ ना पाया अपनों ने।

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4 JAN 2024 AT 17:05

कोई खुशी नहीं मिलेगी आपको सैलरी में,
जब तस्वीरें उसकी सर रही आपकी गैलरी में।

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