Aashish Joshi   (Aashish Joshi)
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CA by profession, writer by passion
Joined 4 April 2021


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16 JAN 2022 AT 23:35

अभी तो लड़खड़ाते हुए चलना सिखा था,
और अब चलते चलते लड़खड़ाने लगे है कदम,

ऐ जिंदगी,
जरा थाम जा, कुछ पल तो दे जीने के लिए!

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27 OCT 2021 AT 13:11

वो मेरा - मेरा करता रह गया जिंदगी भर,
अंत में सब कुछ छोड कर, अकेले ही चला गया !

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25 SEP 2021 AT 18:52

इंसान को झकझोर कर रख देती है वो बातें,
जो जुबान तक आकर भी, किसी से कहीं नहीं जाती !

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24 SEP 2021 AT 22:39

जब एक कमरे का घर था, बिन कहे ही अपनो का हाल पता चल जाता था,

जब से घर बड़ा और कमरे अलग हुऐ, अपनो का भी हाल-चाल पुछना पड़ता है !

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20 SEP 2021 AT 8:25

अगर शिकायते ही करते रहोगे,
तो सुकून कहा से पाओगे ?

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25 AUG 2021 AT 21:30

वह अपनी सफलता के बारे में बताने में इतना मशगूल था,

कि वह अपने बूढ़े माता-पिता का हाल-चाल पूछना भूल गया !

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14 AUG 2021 AT 19:15

देश की सरहदों पर न जाने कितने ही लाल गवाए,
देश की सरहदों पर न जाने कितने ही लाल गवाए,

जो आजकल घरो में ही सरहदे कीच रही है,
तुम ही बतलाओ भला वहा किसे बिठाये ?

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14 AUG 2021 AT 19:08

वो लाल था बस एकलोता फिर भी, वतन पे उसको हार दिया,
वो नूर था बूढी आँखों का, जिसको वतन पे वार दिया।

वो सजता था जिसकी मांग में, बस अब वो यादों में ही रह गया,
चूड़ी, बिंदी और सुहाग मेरा, इस देश की खातिर वो साथ अपने ही ले गया।

धुंदली सी यादें अपनी, उन नन्ही आँखों में दे गया,
खिलोने की पिस्तौल नन्हे हाथो में थमा कर, असली गोली सीने पर सेह गया।

अपनों को पीछे छोड़ उसने, वतन को आगे बढ़ाया है,
अपने वतन की आन की खातिर, उसने अपने प्राण गवाया है।

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31 JUL 2021 AT 21:46

A sign of progress.

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30 JUL 2021 AT 16:11

आज सोलह बरस का तजुरबा हो गया है हमें,
सोलह साल के होने का.

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