आशिकी अल्फाज़   (꧁༒༺ Abhi tomar ༻༒꧂)
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Joined 20 November 2020


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Joined 20 November 2020

जिनका लास्ट seen recently बताया करता था
आज वो long time ago हो गए,
वो सारे दिन बाते करना, गप्पे लड़ाना, मुंह बनाना,
आज वो दोनो तन्हा हो गए,
जो कभी कसमें वादे किया करते थे forever के
आज वो no profile DP हो गए,
हाय!
कैसा ये तेरा इश्क हे खुदा !
दोनो मिलकर भी ना मिले ,
जुदा होकर भी एक रह गए।

-



तेरे वो 2-4 आशिक 🤣🤣



क्या वो मुझसा चाहेंगे क्या
हो कोई ऐसा , तो जरा मुझे भी बताना ,
हो सके अगर मुलाकात,तो हमसे भी करवाना,
पकड़ कर हाथ उसका लकीरे देखनी है मुझको
क्या अलग बनवा कर लाया है वो शख्स
जो खुदा मेरे हाथो मे ना बना पाया
जो खुदा........

-



मैंने चाहा है तुझे जिस कदर ;कोई चाह पाएगा क्या
जताया है जिस कदर इश्क; कोई जता पाएगा क्या
तेरे वो खामोश लब्ज़,बोलती निगाही ,
उनको कोई समझ पाएगा क्या
मुरसद् .............
जिस आस में बैठा हुं मैं वो पूरी कर पायेगा क्या,
ये ढलती शाम, होता अंधेरा,तेरा संदेशा लायेगा क्या
वो चाय ,वो चिप्स, वो प्यार संग तू खुद आएगा क्या
पहले सा प्यार, पहले सा अधिकार , तू जताएगा क्या,
क्या तू लौटकर.............🥺 ???

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अलविदा -ए - यार
तेरी जान छोड़ दी हमने,
लिख कर खुद को बेवफ़ा
कलम तोड़ दी हमने ।
....

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राह देखेंगे तेरी ,यूं ही रास्ता निहारेंगे..
बहुत दिन हो गए तुझे देखे
अब खयालों में ही हम तस्वीर बना लेंगे ,
और चाहा था तूझे कभी
अब तेरी यादों में खुद को जीना सिखा लेंगे

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नजर नहीं आता कोई रास्ता किस राह पर जाऊ,
जो मिल रहे है हजारों उनको अपना बनाऊं ,
या तेरे कदमों की राह मे अपना दिल बिछाऊ,
फिर से एक बार बेवफाई के धब्बे खुद कर छिड़कू
या तेरी मोहब्बत को खुदा ए ताज कर आऊं ,
नजर नही आता कोई रास्ता किस राह पर जाऊ।

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भेजा है एक तोहफ़ा तेरे नाम, कुबूल करना ;
इनकार हो अगर तेरा ,तो सरेआम मत करना ;
फेक देना किसी कचरे के डिब्बे में ही सही ;
मगर तुम ,अपना दिल दुःखी मत करना।

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यादों से तन्हा हम भी रहते है ,
गुट गुट के महीनों से हम भी जिया करते है ,
और अब बताएं तो बताए केसे ,
की आज भी हम आपसे मोहब्बत किया करते है।

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इल्जाम हजारों है लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता,
देख तेरी तस्वीरों को मेरा कभी जी नहीं भरता ,
और ये जमाना ,ये लोग ,सब फिजूल हवाएं है ,
मुरसद........................❣️
जी लेता वो शख़्स इल्जामों में भी ,
अगर उसका प्रेमी उस पर शक नही करता।

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July 2022

तू गया है जबसे वो चिप्स वाली चाय कोई पिलाता ही नहीं,
कोई मुड़ मुड़ कर देखे हमको भी अब ऐसा जमाना ही नहीं,
वो बारिश,वो बूंदे,वो भीगना,वो रांहे,और...संग तेरे वो चाय
हकीकत तो दूर अब वैसा ख्वाब भी कहीं नजर आता ही नहीं।

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