पुस्तकों में
उतारे गए
किरदार
और डाली गयी
उनमे जान
ताकि
महसूस कर सकें हम
अकेलेपन में भी
एक साथी का साथ-
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
#साहिर-लुधया... read more
हुई है शाम तो हम भी अपने घर को जाएंगे,
उजड़ चुका हो मकां तो हम किधर जाएंगे ।
मिलेगा प्यार मुझे शायद उसकी भी तरफ से ,
इसी उम्मीद में है जिंदा, इसी उम्मीद में मर जाएंगे।-
कविताएं नही रखती हमें बांध के
ग़ज़लों की तरह
बह्र के बने रस्सों से
कविताएं देती है
हमें पूरी आज़ादी
एक खुला आसमान
जिसमे उड़ा सके हम
अपने ख्वाबो की पतंगे
बेपरवाह हो कर
बिना किसी डर के।-
स्मृतियाँ
नही
छूटती पीछे,
बल्कि
हमारा
एक हिस्सा
छूट जाता है
स्मृतियों के
साथ।-
नभ में भटका नभचर,
तू लौट शाख पे आएगा।
फिर से बोली गूंजेगी,
तू गीत सुहाने गाएगा।।
वजूद तेरा, कहीं खोया नही,
बस मन तेरा एकाकी है।
पंख खोल और सांस ले,
उड़ान अभी भी बाकी है।।-
अगर ये इश्क़ दरिया है, मुझे फिर तैर जाना है,
अगर कश्ती न तैरी तो, मुझे फिर डूब जाना है।
मिरा ये इश्क़ सच्चा है,तु मुझपे बस यकीं कर ले ,
मुझे तेरी तमन्ना है , न कोई ये बहाना है।
फ़लक ना चाहिए मुझको, मुझे बस तू सनम दे दे,
खुदा बस काम इतना कर, न कोई ये तराना है।
कभी तो देख ले मुझको, कभी तो नाम मेरा ले,
मिरी चाहत खुला आँगन, न कोई क़ैद खाना है।
न सोचा था कभी मैंने, मुझे ये इश्क़ भी होगा,
मगर ये हो गया मुझको, न दिल मेरा दिवाना है।
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सब तरफ है तम मगर इक रौशनी की आस है,
सब तरफ इक झील है पर इश्क़ की अब प्यास है।
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रेत
हांथो से
फिसल जाने पर
कुछ अंश
छोड़ जाती है
तुम भी छोड़ गयी हो
अपने अंश
स्मृतियों के
रूप में।-