आशीष कुमार   (कुमार आशीष)
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Joined 22 December 2017


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Joined 22 December 2017
2 MAR 2023 AT 7:35

पुस्तकों में
उतारे गए
किरदार
और डाली गयी
उनमे जान
ताकि
महसूस कर सकें हम
अकेलेपन में भी
एक साथी का साथ

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16 FEB 2023 AT 19:29

हुई है शाम तो हम भी अपने घर को जाएंगे,
उजड़ चुका हो मकां तो हम किधर जाएंगे ।

मिलेगा प्यार मुझे शायद उसकी भी तरफ से ,
इसी उम्मीद में है जिंदा, इसी उम्मीद में मर जाएंगे।

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17 NOV 2022 AT 16:13

कविताएं नही रखती हमें बांध के
ग़ज़लों की तरह
बह्र के बने रस्सों से
कविताएं देती है
हमें पूरी आज़ादी
एक खुला आसमान
जिसमे उड़ा सके हम
अपने ख्वाबो की पतंगे
बेपरवाह हो कर
बिना किसी डर के।

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5 NOV 2022 AT 10:11

स्मृतियाँ
नही
छूटती पीछे,
बल्कि
हमारा
एक हिस्सा
छूट जाता है
स्मृतियों के
साथ।

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2 OCT 2022 AT 4:56

अब मृत्यु ही मुझे
फिर से जीवित कर सकती है।

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4 JUL 2021 AT 19:41

नभ में भटका नभचर,
तू लौट शाख पे आएगा।
फिर से बोली गूंजेगी,
तू गीत सुहाने गाएगा।।

वजूद तेरा, कहीं खोया नही,
बस मन तेरा एकाकी है।
पंख खोल और सांस ले,
उड़ान अभी भी बाकी है।।

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1 JUL 2020 AT 12:13

अगर ये इश्क़ दरिया है, मुझे फिर तैर जाना है,
अगर कश्ती न तैरी तो, मुझे फिर डूब जाना है।

मिरा ये इश्क़ सच्चा है,तु मुझपे बस यकीं कर ले ,
मुझे तेरी तमन्ना है , न कोई ये बहाना है।

फ़लक ना चाहिए मुझको, मुझे बस तू सनम दे दे,
खुदा बस काम इतना कर, न कोई ये तराना है।

कभी तो देख ले मुझको, कभी तो नाम मेरा ले,
मिरी चाहत खुला आँगन, न कोई क़ैद खाना है।

न सोचा था कभी मैंने, मुझे ये इश्क़ भी होगा,
मगर ये हो गया मुझको, न दिल मेरा दिवाना है।

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28 JUN 2020 AT 13:42

सब तरफ है तम मगर इक रौशनी की आस है,
सब तरफ इक झील है पर इश्क़ की अब प्यास है।

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25 JUN 2020 AT 9:15

मेरे हर हर्फ़ में थिरकता है कोइ,
जैसे सीने में दिल धड़कता है कोइ।

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24 JUN 2020 AT 11:05

रेत
हांथो से
फिसल जाने पर
कुछ अंश
छोड़ जाती है

तुम भी छोड़ गयी हो
अपने अंश
स्मृतियों के
रूप में।

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